मालदा: मालदा में पके आमों के मुकाबले कच्चे आम बेचने के कारोबार ने जोर पकड़ लिया है. भारत के विभिन्न राज्यों में मालदा के कच्चे आम की मांग काफी अधिक है. कच्चे आम का प्रयोग आचार बनाने के काम में हो रहा है. यहां के कारोबारी कच्चे आम को काट कर उसमें नमक और हल्दी मिलाते हैं और पैकेट में बंद कर पंजाब, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान आदि राज्यों में भेज देते हैं.
कारोबारियों का कहना है कि पका आम बेचने से अच्छा कच्चे आम का यह कारोबार अधिक मुनाफा वाला है. शनिवार को मालदा के इंगलिश बाजार ब्लॉक के अधीन नरहट्टा, कोतवाली, अमृति ग्राम पंचायतों के विभिन्न इलाकों का दौरा करने के बाद यह साफ हो गया कि यहां कच्चे आम से आचार बनाने के कारोबार ने एक बड़े उद्योग का रूप ले लिया है.
भारी संख्या में महिलाएं अपने-अपने घरों में आम काटने में जुटी हुई थी. आम को चार टुकड़ों में काटा जाता है. उसमें नमक और हल्दी मिलाकर आचार बनाने लायक किया जाता है. फिर पैकेट बनाकर दूसरे राज्यों में भेज दिया जाता है. इस उद्योग के बढ़ने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ट्रकों में भरकर माल दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे हैं. अमृति गांव की रहने वाली रजिया बीबी, प्रवीण बेगम, शाहनाज खातून, कस्तूरी बीबी आदि जैसी गृहिणियां आम काटने के काम में लगी हुई हैं. इनका कहना है कि इस काम से हर दिन 300 से 400 रुपये तक की आमदनी हो जाती है. आम कारोबारी 50 से 60 रुपये प्रति मन की दर से आम काटने के पैसे देते हैं. चार से सात मन तक आम की कटाई हो जाती है.
अगले दो महीने तक यह कारोबार चलेगा. अच्छी आमदनी से यह महिलाएं भी काफी खुश हैं. अमृति गांव के ही एक आम कारोबारी सिराजुल शेख ने कहा कि इस धंधे में काफी मुनाफा है. आंधी-तूफान के समय पेड़ से काफी आम गिर जाते हैं. वह आम किसानों से एक से दो रुपये प्रति किलो की दर पर खरीद लेते हैं. उसके बाद ग्रामीण महिलाओं को आम काटने के काम में लगा दिया जाता है. वह तो मुनाफा कमा ही रहे हैं, गांव की महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध हो रहा है. मालदा आम व्यवसायी समिति के संयुक्त सचिव उज्जवल चौधरी ने बताया कि इससे आम किसानों को भी लाभ है. पहले आंधी-तूफान से पेड़ से गिरने वाले कच्चे आम बरबाद हो जाते थे. अब किसानों को थोड़ी बहुत कीमत मिल जाती है.