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कई दिनों तक धरना प्रदर्शन के बाद भी नहीं हुआ कोई लाभ

सिलीगुड़ी: एसएसबी व राज्य सरकार की बेरूखी के बाद एसएसबी वोलेन्टियर्स (गोरिल्ला) एसोसिएशन के सदस्य अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गये. गुरुवार को संगठन की ओर से दार्जिलिंग, कूचबिहार व मालदा जिले के दस सदस्यों ने रिले अनशन शुरु किया. संगठन का कहना है कि मांग ना मानने पर आमरण अनशन में भी यह बदल […]

सिलीगुड़ी: एसएसबी व राज्य सरकार की बेरूखी के बाद एसएसबी वोलेन्टियर्स (गोरिल्ला) एसोसिएशन के सदस्य अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गये. गुरुवार को संगठन की ओर से दार्जिलिंग, कूचबिहार व मालदा जिले के दस सदस्यों ने रिले अनशन शुरु किया. संगठन का कहना है कि मांग ना मानने पर आमरण अनशन में भी यह बदल सकता है. इसके अतिरिक्त केंद्रीय कमिटी के साथ बैठक कर आंदोलन की रणनीति बनायी जायेगी.
उल्लेखनीय है कि 18 मई से ही एसएसबी रानीडांगा मुख्यालय के सामने यहलोग धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं. उसके बाद भी कोई आश्वासन नहीं मिलने पर एसएसबी वोलेन्टियर्स रिले अनशन पर बैठने को बाध्य हुए हैं. संगठन के महासचिव समीर रंजन शील ने बताया कि एसएसबी वोलेन्टियरों को सरकारी नौकरी व भत्ता देने की मांग पर पिछले आठ वर्षों से आंदोलन जारी है.

श्री शील से मिली जानकारी के अनुसार सीमा की सुरक्षा के लिये पहले पूरे देश में एसएसबी वोलेन्टियर्स तैयार किये जाते थे. इन्हें 42 दिन की पूरी ट्रेनिंग देकर सीमावर्ती तैनात किया जाता था. वर्ष 2002 में इन एसएसबी वोलेन्टियरों को दूध से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया गया. इसके बाद पूरे देश में एसएसबी नियुक्ति की मांग पर यह सभी आंदोलन कर रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एसएसबी वोलेन्टियरों को सिविल डिफेंस या केंद्रीय होम गार्ड में नियुक्त करने का निर्देश सभी राज्यों को दिया है. कई राज्यों में नियुक्ति प्रक्रिया जारी है लेकिन कुछ राज्य अभी भी मौन हैं. जिसकी वजह से राजस्थान, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल आदि में जोरदार आंदोलन की हो गयी है. आंदोलन के क्रम में इन लोगों ने कई बार राज्य के मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ज्ञापन सौंपा. लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है.

श्री शील ने बताया कि योग्य वोलेंटियरों की नियुक्ति व अन्य को भत्ता देने की मांग को लेकर 18 मई को रानीडांगा एसएसबी मुख्यालय के सामने घरना प्रदर्शन शुरु हुआ. उसी दिन तीन सूत्री मांगो को लेकर एसएसबी आईजी को एक ज्ञापन भी सौंपा गया. उसका कोई जवाब नहीं मिलने पर बीते सोमवार को एक और स्मरण पत्र देकर तीन दिनों का समय दिया गया. उसके बाद भी कोई लिखित आश्वासन नहीं मिला. पूर्व निर्णय के मुताबिक गुरुवार से रिले अनशन शुरु किया गया है. इस आंदोलन में पश्चिम बंगाल के 12 जिलों के सदस्य शामिल हुए हैं. प्रत्येक दिन अलग-अलग जिले के सदस्य अनशन पर बैठेगें. श्री शील ने कहा कि इस पर भी कोई लाभ नहीं हुआ तो और भी बड़ा आंदोलन करेंगे.

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