उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं को को अपना इस्तीफा भेज दिया है.उन्होंने आज संवाददाताओं से बातचीत करते हुए विमल गुरूंग पर तगड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा कि वह पिछले दस सालों से डुवार्स में मोरचा को झंडा लहरा रही थी. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि विमल गुरूंग के एजेंडे में डुवार्स कहीं भी नहीं है. वह गोरखालैंड में डुवार्स को शामिल करने की बात करते थे,जबकि वास्तविकता यह है कि इस इलाके को जीटीए तक में शामिल नहीं किया गया.वह जीटीए को लेकर ही व्यस्त हैं.
हाल में पहाड़ पर दो चुनाव हुए और श्री गुरूंग उसी में लगे रहे. आने वाले दिनों में जीटीए चुनाव है और वह फिर उसके प्रचार में लगे जायेंगे. डुवार्स को लेकर सोचने को उनके पास समय तक नहीं है.जबकि वास्तविकता यह है कि इसी डुवार्स में किए गए आंदोलन को लेकर वह आज जीटीए के मार्फत सत्ता सुख भोग रहे हैं. यहां के लोगों ने गोरखालैंड आंदोलन में हिस्सा लेकर अपना काफी कुछ खोया है. कई की जान चली गयी. अब उनको कोई देखने वाला नहीं है. पिंकी छेत्री ने आगे कहा कि बिमल गुरूंग ने डुवार्स को लेकर जो आश्वासन दिया था,उसको पूरा करने में विफल रहे हैं. अबलोगों को संतुष्ट करना संभव नहीं हो रहा है. लोग उनसे जवाब मांग रहे हैं. वह जवाब नही दे पा रही है.श्री गुरूंग ने कहा था कि वर्ष 2012 में गोरखालैंड राज्य बन जायेगा,कुछ नहीं हुआ.
उसके बाद 2014 या फिर 2017 में गोरखालैंड बन जाने का भरोसा दिलाया. यह भरोसा भी टूट गया है. अब पता चल गया है कि अलग गोरखालैंड राज्य नहीं होगा. लोगों को मिथ्या आश्वासन देना अब संभव नहीं है. इसी कारण से उन्होंने मोरचा छोड़ दिया है. इधर,डुवार्स में गोजमुमो नेता तथा पार्टी के सेंट्रल कमेटी के सदस्य मेराज छेत्री ने बताया कि उन्हें एक महीने पहले से ही पता है कि पिंकी छेत्री पार्टी छोड़ देंगी. उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए पार्टी छोड़ी है.
उनके जाने से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बिमल गुरूंग ने जो कहा है वह होगा. एक दिन अलग गोरखालैंड राज्य जरूर बनेगा. उल्लेखनीय है कि इससे पहले मोरचा नेता सूजर घतानी भी इस्तीफा देकर तृणमूल में शामिल हो चुके हैं. उन्हें राज्य सरकार ने डुवार्स गोरखा टास्क फोर्स का चेयरमैन बनाया है.हांलाकि पिंकी छेत्री ने तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की संभावनाओं से इंकार किया है.