सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए क्रिएशन की निदेशक डॉक्टर सिंधू बाला ने बताया कि इस्लामपुर की रहने वाली वह महिला पिछले 17 साल से इलाज करा रही थी, लेकिन मां बनने में उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी. उनके पति का उम्र भी 50 साल के पार हो चुका है. क्रिएशन में आने के बाद उनकी चिकित्सा शुरू की गई और टेस्ट ट्यूब पद्धति के माध्यम से वह मां बनने में सफल रही.
उन्होंने आगे कहा कि उत्तर बंगाल में संभवत: यह पहला मामला है जब टेस्ट ट्यूब पद्धति से 47 साल की महिला मां बन सकी है. उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं में बांझपन की समस्या कोई स्थायी समस्या नहीं है. आइबीएफ तकनीक ने काफी प्रगति कर ली है. टेस्ट ट्यूब बेबी पद्धति अपनाकर महिलाएं संतानहीनता की समस्या दूर कर सकती हैं. लेकिन समस्या यह है कि इस पद्धति को लेकर महिलाएं जागरूक नहीं हैं. आम तौर पर नि:संतान दंपति टेस्ट ट्यूब को लेकर जल्दी फैसला नहीं ले पाते हैं. जब तक सोच विचार करते हैं तब तक उम्र काफी अधिक हो जाती है. ऐसा नहीं है कि संतानहीनता की जिम्मेदार मुख्य रूप से महिलाएं हैं. पुरुष भी इसमें बराबर के भागीदार होते हैं. पुरुष आम तौर पर अपनी चिकित्सा नहीं कराते हैं. उन्होंने संतानहीन दंपति को यथाशीघ्र चिकित्सा शुरू कराने की सलाह दी. संवाददाता सम्मेलन में डॉक्टर टीना कर्मकार तथा एम्ब्रोलॉजिस्ट शाश्वत भट्टाचार्य उपस्थित थे.