यह आरोप सोमवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित प्रेस-वार्ता के दौरान पीड़ित मरीज व देशबंधुपाड़ा निवासी मलय चौधरी ने लगाया है. उन्होंने मेडिका क्लीनिक के प्रबंधन पर बिल में गड़बड़ी करने का दावा किया है. इस गड़बड़ी का खामियाजा श्री चौधरी दो वर्षों से भोग रहे हैं. उन्हें अब-तक इएसआइ से भुगतान नहीं मिल पाया है. उन्होंने बताया कि वह एक बॉटलिंग प्लांट में नौकरी करते हैं. वह सात दिसंबर 2014 को सड़क दुर्घटना का शिकार हुए थे.
मेडिका क्लिनिक ने दूसरा बिल अलग से बनाकर दिया लेकिन दूसरा बिल पहले बिल से कम था. दूसरा बिल करीब 67 हजार का था. पहले बिल हाथ में प्लेट लगाने का चार्ज 9,390 रूपये जोड़ रखा था. जबकि दूसरे बिल में मात्र 6, 656 रूपये ही जोड़ा गया था. रकम की इतनी हेरफेर की वजह से उनका आजतक इएसआइ का क्लेम अटका पड़ा है. उनका कहना है कि क्लीनिक प्रबंधन से कई बार सही बिल बनाकर देने की गुजारिश की गयी लेकिन प्रबंधन आनाकानी कर रहा है. उन्होंने मेडिका क्लिनिक की इस मनमानी व धांधली के विरूद्ध एवं इंसाफ के लिए दार्जिलिंग जिला स्वास्थ्य दफ्तर और उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाने तथा मामला करने की चेतावनी दी है.