उन्होंने इस बात को मानने से साफ इंकार कर दिया कि देश में चिकित्सा सेवा काफी महंगी है. श्री अग्रवाल ने कहा कि देश में चिकित्सा सेवा महंगी नहीं, बल्कि रोगियों की चिकित्सा के लिए आवश्यक उपकरण महंगे हैं. इसी वजह से जांच आदि में रोगियों को अधिक कीमत चुकानी पड़ती है. चिकित्सा उपकरणों के अत्याधुनिक होने की वजह से ही सभी रोगों का इलाज संभव है. पहले कैंसर का मतलब था मौत. लेकिन अब ऐसी बात नहीं है. देश में कैंसर जैसी असाध्य बीमारी की भी चिकित्सा हो रही है. अब कैंसर पीड़ितों के मृत्यु दर में काफी कमी आ गई है. अन्य बीमारियों के मामले में भी कमोबेश यही स्थिति है. श्री अग्रवाल ने कहा कि देश के लोग बीमारी को लेकर सजग नहीं हैं. कोई भी परिवार यदि अपना बजट बनाता है तो उसमें होने वाली बीमारी के खर्च पर विचार नहीं करता है. वास्तविकता यह है कि हर परिवार को अपना घरेलु बजट मनाते समय चिकित्सा खर्च को भी शामिल करना चाहिए. आम लोगों में बीमारी को लेकर जागरूकता की भी कमी है. श्री अग्रवाल ने देश के सभी लोगों को मेडिक्लेम कराने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि तमाम इंश्योरेंस कंपनियां मेडिक्लेम पॉलिसी दे रही है. 10-10 लाख रुपये तक का मेडिक्लेम हो रहा है.
यदि आम लोग मेडिक्लेम करा लें तो चिकित्सा सेवा पाने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी. श्री अग्रवाल ने चिकित्सा के व्यवसायीकरण के आरोपों को भी खारिज करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार कहां नहीं है. सभी क्षेत्र में भ्रष्ट लोग मिल जायेंगे. चिकित्सा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है. कुछ डॉक्टर यहां भी भ्रष्ट हो सकते हैं, लेकिन इनका प्रतिशत काफी कम है.
श्री अग्रवाल ने आगे कहा कि आइएमए का लक्ष्य सिलीगुड़ी सहित पूरे पूर्वोत्तर राज्यों में चिकित्सा सेवा को विकसित करना है. पूर्वोत्तर भारत के लोग आम तौर पर बीमारी की चिकित्सा कराने दक्षिण भारत चले जाते हैं. इस पर आइएमए विशेष अभियान चला रही है. पूर्वोत्तर भारत के लिए आइएमए ने अलग से एक सेल का गठन किया है. आने वाले दिनों में इस सेल की रिपोर्ट के आधार पर सिलीगुड़ी सहित पूरे पूर्वोत्तर भारत में चिकित्सा सेवा को विकसित करने पर जोर दिया जायेगा.