यह कहना है बंगीय प्रादेशिक बैंक कर्मचारी यूनियन के दार्जिलिंग जिला इकाई के महासचिव लक्ष्मी महतो का. नोटबंदी को लेकर 50 दिन पूरे होने के बाद देश की वर्तमान स्थिति पर श्री महतो सोमवार को आयोजित प्रेस-वार्ता के दौरान मीडिया के सामने केंद्र सरकार की जमकर खिंचायी की. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के नाम पर मोदी जी ने कालाधन बाहर निकालने और कैशलेस इंडिया गढ़ने का सपना देखा था, जो सपना ही रह गया. 30 दिसंबर तक पूरे देश में 14.25 लाख करोड़ रूपये जमा हुआ. 31 मार्च तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) में और कुछ रूपये जमा हो जायेंगे.
मोदीजी ने कालाधन निकालने का जो लक्ष्य रखा था सरकार उसके आस-पास तक भी नहीं पहुंच सकी. नोटबंदी के 50 दिनों के अंदर केंद्र सरकार के निर्देश पर आरबीआइ ने कुल 64 नियमों में बदलाव किया. इसके बावजूद कालाधन बाहर नहीं हुआ. श्री महतो ने प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने 31 दिसंबर के शाम को देश के नाम अपने भाषण में एकबार भी कालाधन का उल्लेख नहीं किया. बल्कि वित्त मंत्री का भाषण प्रधानमंत्री ने दिया. आम बजट का लान प्रधानमंत्री ने दो महीने पहले ही संविधान को ताक में रखकर कर दिया. श्री महतो ने कहा कि मोदी के नोटबंदी का फायदा न तो सरकार मिला और न ही आम लोगों को. उल्टा नोटबंदी का खामियाजा आम लोगों और बैंक कर्मचारियों को अपनी जान देकर भुगतना पड़ा. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को नोटबंदी की वजह से मारे गये लोगों और बैंक कर्मचारियों के पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देना होगा. साथ ही नौकरी गवानेवालों और कारोबार में नुकसान हुए कारोबारियों को भी मुआवाज देना होगा. उन्होंने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार जल्द मुआवजा नहीं देती है तो बैंक कर्मचारी देशव्यापी आंदोलन करने को मजबूर होंगे. श्री महतो ने बताया कि मुआवजा समेत अन्य मांगों में सभी बैंकों और एटीएम में हमेशा पर्याप्त परिमाण में एक सौ और पांच सौ रूपये के नोट रखना है. प्रतिदिन बैंकों में नोट आपूर्ति व तथ्य प्रकाश करना होगा. बैंकों में नोट आपूर्ति करने को लेकर आरबीआइ को सौतेला व्यवहार बंद करना होगा.