अब इस पैसे के बाद हाट में लगे पुराने शेडों की मरम्मती करायी जायेगी. इसके साथ ही नये शेड बनाने का भी निर्णय लिया गया है. जिला परिषद के अध्यक्ष मोहन शर्मा ने कहा है कि हाट के अंदर रास्ता निर्माण के साथ ही निकासी नाले की व्यवस्था की जायेगी. पीने के पानी आदि उपलब्ध कराने की भी योजना है. श्री शर्मा ने कहा कि नोटबंदी के बाद से पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा है. यहां लगने वाले हाट भी इससे अछूते नहीं हैं. हाटों में खरीद-बिक्री काफी कम हो गई है. ऐसी परिस्थिति में हाटों का कायाकल्प कर इसे फिर से सुदृढ़ करने की योजना है. नोटबंदी का असर धीरे-धीरे खत्म हो जायेगा.
उसके बाद हाट भी जमने लगेंगे. उन्होंने कहा कि अलीपुरद्वार जिला परिषद के गठन के बाद बीआरजीएफ योजना के तहत करीब 26 लाख रुपये मिले हैं. इन पैसों से पहले चरण में 10 हाटों का कायाकल्प होगा. इधर, जिला परिषद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इलाके में कुल 20 हाट लगते हैं जिनमें से अधिकांश की हालत इन दिनों दयनीय है. जिला परिषद की योजना सभी 20 हाटों के कायाकल्प की है. पहले चरण में 10 हाटों का कायाकल्प होगा. उसके बाद बजट को ध्यान में रखते हुए 10 अन्य हाटों के कायाकल्प की योजना बनायी जायेगी. सूत्रों ने आगे बताया कि पहले चरण में बारोबिसा, अलीपुरद्वार के हाटखोला, शामुकतला, हेमिल्टनगंज, फालाकाटा, भाटीबाड़ी, वीरपाड़ा, मदारीहाट, पटकापाड़ा तथा शीलबाड़ी हाट का कायाकल्प होगा. इसमें से भाटीबाड़ी तथा शामुकतला हाट के लिए तीन लाख 50 हजार रुपये का बजट निर्धारित किया गया है. इसके अलावा फालाकाटा के लिए 80 हजार, वीरपाड़ा के लिए 1 लाख 75 हजार, बारोबिसा एवं हेमिल्टनगंज के लिए 4 लाख 80 हजार, मदारीहाट के लिए 2 लाख तथा अलीपुरद्वार के हाटखोला हाट के कायाकल्प के लिए 4 लाख रुपये आवंटित किये गये हैं. इन हाटों के अलावा पटकापाड़ा हाट के लिए 40 हजार रुपये तथा शीलबाड़ी हाट के लिए 60 हजार रुपये आवंटित किये गये हैं.