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जिला प्रशासन ने कसी कमर

जलपाईगुड़ी: बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए जलपाईगुड़ी जिला प्रशासन ने कमर कस ली है. पिछले कुछ दिनों से साग-सब्जी सहित अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ने की वजह से स्थानीय लोग काफी परेशान हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मूल्य नियंत्रण को लेकर कोलकाता में एक बैठक की है. उसके बाद ही […]

जलपाईगुड़ी: बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए जलपाईगुड़ी जिला प्रशासन ने कमर कस ली है. पिछले कुछ दिनों से साग-सब्जी सहित अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ने की वजह से स्थानीय लोग काफी परेशान हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मूल्य नियंत्रण को लेकर कोलकाता में एक बैठक की है. उसके बाद ही जलपाईगुड़ी जिला प्रशासन की सक्रियता भी बढ़ गई. मंगलवार की सुबह टास्क फोर्स के अधिकारी प्रशासन तथा पुलिस अधिकारियों को साथ लेकर विभिन्न बाजारों के दौरे पर निकले. यहां दुकानदारों से बात की और अधिक मूल्य लेने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी.

महंगाई पर नियंत्रण के लिए गठित टास्क फोर्स के सदस्य तथा कृषि विपणन विभाग के अधिकारियों ने तराजू और बटखरा आदि की भी जांच की. टास्क फोर्स के अधिकारी पहले सब्जी बाजार गये और उसके बाद मछली बाजार भी गये. बारिश शुरू होते ही जलपाईगुड़ी शहर में सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं. खासकर आलू तथा टमाटर की कीमत में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि महंगाई पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

उसके बाद ही टास्क फोर्स के सदस्य सक्रिय हो गये. बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जलपाईगुड़ी में पटल 20 रुपये, बैंगन 20 रुपये, भिंडी 20 रुपये, हरी मिर्च 70 से लेकर 100 रुपये, प्याज 18 रुपये तथा आदी 200 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहे हैं. आलू की कीमत भी 20 रुपये प्रति किलो है. दो महीने पहले तक आठ से 10 रुपये प्रति किलो की दर से आलू बाजार में उपलब्ध था. अचानक इसकी कीमत दोगुनी हो गई है. जबकि जलपाईगुड़ी, धूपगुड़ी, मयनागुड़ी एवं माल ब्लॉक में इस बार आलू का रिकार्ड उत्पादन हुआ है.


स्थानीय लोगों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, खपत के मुकाबले कई गुना अधिक आलू के उत्पादन के बाद भी कीमतों में दोगुनी वृद्धि होना अपने आप में आश्चर्यजनक है. स्थानीय सूत्रों ने आगे बताया है कि जिले के विभिन्न कोल्ड स्टोरेज में भी आलू का पर्याप्त भंडारण है. उसके बाद भी आलू की कीमत में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. 20 रुपये किलो से नीचे कहीं भी आलू उपलब्ध नहीं है. इधर, एक आलू व्यवसायी ने बताया है कि इस इलाके में मुख्य रूप से ज्योति आलू का उत्पादन होता है. जो खाने में थोड़ा मीठा है. इस प्रजाति के आलू की बिक्री कम है. आम लोग ज्योति आलू खरीदना नहीं चाहते. फिर भी इस आलू की थोक कीमत 15 रुपये किलो है और बाजार में 17 रुपये किलो की दर से उपलब्ध है. अन्य प्रजाति के आलू के मुकाबले कीमत कम होने की वजह से भी इसकी बिक्री अधिक नहीं है. लोग बर्दमान की चापाडांगा प्रजाति के आलू खरीदना चाहते हैं. इस आलू की कीमत थोक बाजार में 17 रुपये प्रति किलो है. स्वाभाविक रूप से 20 रुपये किलो खुदरा मूल्य है. उस व्यवसायी ने माना कि स्थानीय कोल्ड स्टोरेज में पर्याप्त भंडारण के बाद भी आलू की कीमत में दोगुनी वृद्धि हुई है.

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