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पैसे के आभाव में उदय ने त्यागा डॉक्टर बनने का सपना

जलपाईगुड़ी़ : मेधावी होने के बाद भी पैसे नहीं होने की वजह से एक बच्चे ने डॉक्टर बनने के अपने सपने को त्याग दिया है़ दो दिन पहले ही माध्यमिक परीक्षा के परिणाम घोषित हुए हैं. धुपगुड़ी हाइ स्कूल के मेधावी छात्र उदय शंकर मंडल ने शानदार सफलता हासिल की है़ उसने ना केवल अपने […]

जलपाईगुड़ी़ : मेधावी होने के बाद भी पैसे नहीं होने की वजह से एक बच्चे ने डॉक्टर बनने के अपने सपने को त्याग दिया है़ दो दिन पहले ही माध्यमिक परीक्षा के परिणाम घोषित हुए हैं.

धुपगुड़ी हाइ स्कूल के मेधावी छात्र उदय शंकर मंडल ने शानदार सफलता हासिल की है़ उसने ना केवल अपने परिवार ब्लकि स्कूल का नाम भी रौशन किया है़ वह आगे चलकर डॉक्टर बनना चाहता था,लेकिन पैसे की तंगी के कारण उसने अपने इस सपने को त्याग दिया है़ उच्च माध्यमिक में साइंस ना लेकर वह कला विभाग में नामांकन कराने के लिए मजबूर है़ .

माध्यमिक परीक्षा में शंकर ने 619 अंक हासिल करने में सफलता हासिल की है़ उसकी मां मोटरसाइकिल के एक शोरूम में काम करती है़ परिवार की आय काफी कम है़ उदय शंकर को पता है कि साइंस की पढ़ाइ करने के लिए काफी पैसे की जरूरत होगी़ हांलाकि उसकी मां अपने होनहार बच्चे को साइंस ही पढ़ाना चाहती है,ताकि वह आगे चलकर डॉक्टर बन सके़ मां सबिता मंडल अपने बेटे को साइंस लेकर ही आगे पढ़ने के लिए कह रही है़ एक विशेष बातचीत के दौरान शंकर ने कहा कि पैसे की कमी के चलते ही वह आगे साइंस लेकर नही पढ़ना चाहती़ इतना सुनते ही उसकी मां सबिता मंडल रो पड़ती है़ सबिता मंडल ने कहा कि उदय शंकर के पिता एक सरकारी कर्मचारी हैं,फिर भी परिवार के लोगों को पाइ-पाइ के लिए माहताज होना पड़ रहा है़ उन्होंने कहा कि शंकर के पिता कूचबिहार के एक हाइ स्कूल में क्लर्क के पद पर तैनात हैं. लेकिन वह सबको छोड़ चुके हैं. वर्ष 2010 में ही वह उन्हें और अपने बेटे को छोड़ चुके हैं. ऐसे सबिता मंडल ने अपने पति चंचल मंडल के खिलाफ वधु उत्पीड़न का मामला भी दायर कराया़ लेकिन वह परिवार के पास वापस नहीं लौटे़ वह कभी-कभी अपनी पत्नी और बेटे को कुछ पैसे भेजकर अपने फर्ज से मुक्त हो जाते हैं.सबिता मंडल ने कहा कि परिवार का खरचा चलाने के लिए वह मोटर साइकिल के एक शोरूम में काम करती है़ वहां से उन्हें मात्र 3500 रूपये की तनख्वाह मिलती है़ इतने कम पैसे में परिवार का खर्च चलाना और बच्चे को पढ़ाना भला कैसे संभव है़ ऐसे कन्याश्री योजना से राज्य सरकार की ओर से उदय को एक साइकिल मिली है़ इससे थोड़ी राहत है़ वह स्कूल तथा ट्यूशन इसी साइकिल से आता-जाता है़ उदय ने बताया कि उसे शिक्षकों से काफी मदद मिली है़ वह स्कूल के अलावा चार-चार ट्यूशन पढ़ता था़ ट्यूशन पढ़ाने वाले शिक्षकों ने कभी भी एक रूपये की भी मांग नहीं की़ सभी शिक्षकों ने मुफ्त में ट्यूशन पढ़ाया़ अब वह उच्च माध्यमिक मे नाम लिखवा रहा है़ आगे की पढ़ायी कैसे होगी,यही सोचकर वह काफी परेशान है़ उसकी इच्छा साइंस लेकर ही आगे पढ़ायी करने की है़ अब देखते हैं आगे क्या होता है़ उदय ने इस बार माध्यमिक में बांगला में 80,अंग्रेजी में 94,जीव विज्ञान में 90 अंक हासिल किया है़ अन्य विषयो में भी उसके अच्छे अंक हैं.

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