मालदा: मालदा जिले के वैष्णवनगर थाना अंतर्गत जैनपुर इलाके में हुए बम विस्फोट कांड में दो सीआईडी अधिकारियों सहित कुल छह लोगों की मौत हुई, फिर भी इलाके में बम का कारोबार नहीं थम रहा है. पुलिस व खुफिया विभाग को नजरअंदाज कर दिन के उजाले में ही प्लास्टिक या बॉल बम बनाने का कारोबार जारी है. बम बनाने का रसायन गैरकानूनी रूप से बांग्लादेश से इस पार आ रहा है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बम बनाने वाले मास्टरमाइंड को बिहार के मुंगेर से बुलाया जा रहा है. भारत-बांग्लादेश सीमांत इलाका जैनपुर के बांस बागान में चटाई बिछाकर बम तैयार करने का कार्य जारी है. बम बनाने वाले कारीगरों की सुरक्षा में आग्नेयास्त्रधारी बदमाश भी तैनात हैं. इस घटना के सामने आने से प्रशासन में खलबली मच गयी है. इस घटना पर मालदा जिला पुलिस अधीक्षक सैयद वकार रजा ने भी चुप्पी साध रखी है.
उल्लेखनीय है कि 2 मई को जैनपुर इलाके में बम निष्क्रिय करने गये दो सीआईडी अधिकारी काल की गोद में समा गये थे. इस घटना में घायल एक सीआईडी कर्मचारी कोलकाता में इलाजरत हैं. उनकी दोनों आंखें चली गयी हैं. इससे पहले एक मई की रात को बम धमाके में एक तृणमूल ग्राम पंचायत सदस्य सहित चार लोगों की जान चली गयी थी. बम बनाते समय अचानक बम विस्फोट हुआ था. इस घटना के बाद भी इस इलाके में बम बनाने का कारोबार बंद नहीं हुआ है. प्रश्न खड़ा हो रहा है कि इतने बड़े हादसे के बाद भी पुलिस व खुफिया विभाग इलाके पर निगरानी क्यों नहीं रख रहे हैं. बांग्लादेश से बम बनाने का रासायन लाना किस प्रकार संभव हो रहा है. बम बनाने के इस काम में कौन लोग शामिल हैं. जांच करने के नाम पर पुलिस आंख बंद कर बैठी है.
इधर बम बनाने वाले एक कारीगर ने बताया, बम विस्फोट की घटना के साथ हमारा कोई संबध नहीं है. बम बनाने के लिए हमें मुंगेर से लाया गया है. बम तैयार करने का सारा सामान बांग्लादेश से आता है. अब सुतली से बांध कर बम तैयार नहीं किया जाता, बल्कि प्लास्टिक के बॉल में बारूद व रसायन भर कर कम समय में बम तैयार किया जा रहा है. इस बम में भी पहले की तरह बारूद, कांटी, स्पिलिंटर आदि ही इस्तेमाल किया जाता है. एक बम बनाने में 150 से 200 रुपया खर्च आता है. इन बदमाशों का कहना है कि इसी व्यवसाय के सहारे इनके परिवार का पेट भरता है.