इस संबंध में ओल्ड मालदा पंचायत समिति के अध्यक्ष गोपाल सरकार ने असंतोष जताया है. उनका आरोप है कि पंचायत समिति ने केवल दो कारखाने चलाने की अनुमति दी थी. इन कारखानों से भी कोई सरकारी राजस्व नहीं मिल रहा है. इसके अलावा नारायणपुर इलाके में अनेक गैरकानूनी पेयजल कारखाने कुकुरमुत्ते की तरह फैल गये हैं. कई कारखाने बिना अनुमति के आइएसआइ चिह्न का भी उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिना कोई सरकारी राजस्व दिये ये कारखाने कैसे चल रहे हैं, यह उनकी समझ से बाहर हैं. करीब छह महीना पहले विभिन्न कारखानों को पंचायत समिति की ओर से नोटिस दिया गया था. लेकिन किसी ने कोई उचित जवाब नहीं दिया.
पंचायत समिति के अध्यक्ष ने कहा कि लू और गर्मी की वजह से ओल्ड मालदा में जल संकट पैदा हो गया है. इलाके के लोग पीने का पानी नहीं पा रहे हैं. वहीं नारायणपुर इलाके में खुले असंख्य पेयजल पैकेजिंग कारखाने धड़ल्ले से चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में चुनाव संपन्न होने के बाद इन कारखानों के खिलाफ समुचित कदम उठाये जायेंगे. साथ ही इस मामले में जिला प्रशासन के उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ चरचा बैठक भी की जायेगी.
इलाके के एक सूत्र ने बताया कि नारायणपुर इलाके में बड़ी संख्या में अवैध पेयजल कारखाने हैं. यहां से एक लीटर और दो लीटर की प्लास्टिक बोतलें पैक होती हैं. साथ ही पांच और 20 लीटर के जार में भी पानी पैक होता है. पैक किया हुआ पानी मालदा शहर और अन्य स्थानों पर भेजा जाता है. वहीं इलाके के आम लोग एक बाल्टी पानी के लिए भी तरस रहे हैं. उन्हें तालाब और डोबा का गंदा पानी लेना पड़ रहा है. ऐसे में नारायणपुर के कारखानों को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस इलाके में जलापूर्ति के लिए कोई डीप बोरिंग नहीं है. पेयजल के लिए जो कल लगे हैं उनमें पानी नहीं आ रहा है. पंचायत और प्रशासन ने जल संकट दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है. मालदा जिला परिषद की अध्यक्ष सरला मुर्मू ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. नारायणपुर में किस तरह अवैध पेयजल कारखाने चल रहे हैं, यह प्रशासन को देखना होगा.