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लोकतंत्र के पर्व के बीच दो चाय श्रमिकों की मौत
जलपाईगुड़ी. मतदान के दिन ही जलपाईगुड़ी के बंद पड़े रेडबैंक चाय बागान में दो श्रमिकों की मृत्यु की घटना से लोग स्तब्ध हैं. रेडबैंक बागान के गिरजा लाइन निवासी अमर बड़ाइक (45) की चिकित्सा के अभाव में रविवार को मौत हो गयी. इसी चाय बागान के एक और श्रमिक दुलारी नायक (62) की भी मौत […]
जलपाईगुड़ी. मतदान के दिन ही जलपाईगुड़ी के बंद पड़े रेडबैंक चाय बागान में दो श्रमिकों की मृत्यु की घटना से लोग स्तब्ध हैं. रेडबैंक बागान के गिरजा लाइन निवासी अमर बड़ाइक (45) की चिकित्सा के अभाव में रविवार को मौत हो गयी. इसी चाय बागान के एक और श्रमिक दुलारी नायक (62) की भी मौत इलाज के अभाव में हो गयी.
रविवार को मतदान शुरू होने के एक घंटा बाद, सुबह करीब आठ बजे अमर बड़ाइक नामक स्थायी श्रमिक की अपने ही घर में मौत हो गयी. मृत श्रमिक की एक करीबी मुंदरी बड़ाइक ने बताया कि अमर बड़ाइक कुछ दिन पहले ही टीबी और लिवर की बीमारी का इलाज कराकर घर लौटे थे. बाद में उन्हें सिलीगुड़ी के उत्तर बंग मेडिकल कॉलेज ले जाने को कहा गया. बागान बंद पड़ा है, खाने तक के लिए पैसे नहीं हैं. ऐसे में वह इलाज के लिए सिलीगुड़ी कैसे जाते? आखिरकार मतदान के दिन घर में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.
अमर बड़ाइक की मृत्यु की खबर फैलने के बाद सुबह से ही बागान का माहौल शोकमय हो गया. दुखी मन से लोग वोट देने के लिए मतदान केंद्र तक पहुंचे. बागान के भिखा लाइन में रहने वाले अवकाश प्राप्त स्थायी श्रमिक दुलारी नायक की भी इसी तरह मृत्यु हुई. वह भी आर्थिक संकट की वजह से किसी अच्छे अस्पताल में इलाज कराने नहीं जा पा रहे थे. नतीजा यह हुआ कि बीमारी की हालत में उनकी घर में ही मौत हो गयी.
रेडबैंक बागान के एक श्रमिक शेखर प्रधान ने आरोप लगाया कि बागान बीते दो वर्षों से बंद पड़ा हुआ है. बीते साल राज्य सरकार ने बागान की जमीन का पट्टा रद्द करते हुए इसे अपने अधीन ले लिया, लेकिन अभी तक इस बागान को दोबारा शुरू करने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. हम इस उम्मीद के साथ वोट दे रहे हैं कि बागान शीघ्र ही खुलेगा और श्रमिकों की मृत्यु का सिलसिला बंद होगा.
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