इससे पहले वह कांग्रेस में थे. वह आइएनटीटीयूसी के दार्जिलिंग जिला अध्यक्ष भी हैं. तीन साल पहले वह कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे. इस बार विधानसभा चुनाव में सिलीगुड़ी सीट से वर्तमान तृणमूल विधायक रूद्रनाथ भट्टाचार्य का टिकट कटना तय था. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस सीट से आलोक चक्रवर्ती टिकट के प्रबल दावेदार थे. उन्होंने टिकट के लिए काफी माथा-पच्ची भी की. बाद में तृणमूल कांग्रेस ने रूद्रनाथ भट्टाचार्य के स्थान पर बाइचुंग भुटिया को टिकट दे दिया. तब से लेकर अब तक आलोक चक्रवर्ती बाइचुंग भुटिया के चुनाव प्रचार में कहीं नहीं दिखे. उसके बाद से ही उनके पार्टी छोड़ने के कयास लगाये जा रहे थे.
आलोक चक्रवर्ती के साथ ही आदिवासी नेता ज्योति तिरकी ने भी तृणमूल छोड़ दिया है. वह सिलीगुड़ी महकमा परिषद की सभाधिपति भी रह चुकी हैं. कुछ साल पहले वह भी माकपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुई थी और तृणमूल कांग्रस ने उन्हें महकमा परिषद का सभाधिपति बना दिया था. हाल ही में सपंन्न महकमा परिषद चुनाव में ज्योति तिरकी हार गई. इस हार की वजह उन्होंने तृणमूल के कई नेताओं को बताया था. उन्होंने कहा था कि तृणमूल के ही कई नेता उनको हराने में लगे हुए थे.
महकमा परिषद का चुनाव सामने आने के बाद से ही वह बागी हो गई थी. तब भी उन्होंने पार्टी छोड़ने की धमकी दी थी. उस समय उत्तर बंगाल विकास मंत्री तथा तृणमूल के वरिष्ठ नेता गौतम देव ने समझा-बुझाकर मामले को शांत कर दिया था. आखिरकार आज उन्होंने भी पार्टी को अलविदा कह दिया. आलोक चक्रवर्ती और ज्योति तिरकी सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हो गये. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कांग्रेस का झंडा थमाकर दोनों का पार्टी में स्वागत किया.