शरूआती दौर में लगातार 25 वर्षों तक यहां से कांग्रेस का ही विधायक रहा . 1962 से लेकर अब तक बीच के 15 वर्ष छोड़कर इस सीट पर कांग्रेस का ही साम्राज्य रहा है. बीच के 15 वर्षों में माकपा के विधायक इस सीट से निर्वाचित हुये. ऐसी सीट पर कब्जा करने के लिए राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने पहली बार बसंत राय को उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने पूर्व विधायक प्रमथानाथ राय पर एक बार फिर दाव लगाया है. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है़ इलाके के माहौल की बात करें,तो यहां कांग्रेस की तूती बोलती है. ऐसे में बंसत राय की चुनावी राह आसान नहीं होगी.
इलाके में समस्याओं की कोई कमी नहीं है. 4जी के इस दौर में भी कालियागंज के ग्रामीण इलाके के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. बिजली, पेयजल, सड़क आदि की समस्या यहां सबसे बड़ी है़ इस समस्या के समाधान की मांग कइ बार की जा चुकी है.इन तमाम बातों के बाद भी इलाके के लोग कांग्रेस के ही समर्थन में दिख रहे हैं. वैसे ममता बनर्जी के अनुयायियों की भी कमी नहीं है. तृणमूल समर्थकों का कहना है कि पिछले 54 वर्षों से कांग्रेस व माकपा के विधायक को स्थानीय लोगों ने देखा है. कालियांगज की गिनती आज भी पिछड़े इलाकों में की जाती है. नागरिकों को मूलभूत सुविधायें तक नहीं मिल रही है. इसी स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश में तृणमूल है़ तृणमूल के उम्मीदवार बंसत राय पूरे जोर-शोर के साथ प्रचार अभियान में जुटे हुये हैं.
ऐसी राजनीतिक परिस्थितियों में कालियागंज सीट पर विजय पाना तृणमूल उम्मीदवार बसंता राय के लिये आसान नहीं होगा. वर्ष 2011 के चुनाव परिणाम की बात करें तो कुल 2 लाख 2 हजार 761 मतदाताओं में से 1 लाख 78 हजार 324 मतदाताओं ने मतदान किया था़ मतदान का प्रतिशत 87.95 रहा. कांग्रेस के विजयी प्रमथ नाथ राय 47.59 प्रतिशत एवं माकपा उम्मीदवार ननी गोपाल राय 43.5 प्रतिशत मत पाने में सफल रहे थे. दूसरी ओर भाजपा, बीएसपी, सीपीआईएमएल व पांच निर्दलीय उम्मीदवारों की यहां जमानत जब्त हो गयी थी.