जलपाईगुड़ी. पश्चिम बंगाल फॉरेस्ट सर्विस इम्पलाइज फेडरेशन, तृणमूल राज्य सरकारी कर्मचारी संगठन पश्चिम बंगाल राज्य सरकारी फेडरेशन में शामिल नहीं है. यहां तक कि इस संगठन को किसी भी प्रकार की मान्यजा भी नहीं मिली है. देखा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल राज्य सरकारी फेडरेशन के नाम का व्यवहार कर संगठन चलाया जा रहा है.
यह आरोप पश्चिम बंगाल फॉरेस्ट सर्विस कर्मचारी फेडरेशन के आठवें जिला सम्मेलन में कर्मचारियों के एक वर्ग ने लगाया है. सिर्फ यही नहीं आरोप लगाने वालों ने संगठन के रजिस्ट्रेशन एवं मान्यता पर भी सवाल उठाया है. इनका कहना है कि जिस रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग हो रहा है वह पश्चिम बंगाल फॉरेस्ट सर्विस इमप्लॉइज एसोसिएशन के नाम पर है. जलपाईगुड़ी वन कार्यालय के कर्मी विजय धर स्वयं को तृणमूल के पश्चिम बंगाल राज्य सरकारी फेडरेशन के सदस्य होने का दावा करते हुये बताया कि पश्चिम बंगाल फॉरेस्ट सर्विस इम्पलॉइज फेडरेशन के नेतृत्व उनके संगठन को तृणमूल का बता रहे हैं. लेकिन जो मान्यता इनके पास है वह कांग्रेस के संगठन ऑल इंडिया फॉरेस्ट ऑफिसर्स फेडरेशन का है.
इसके अतिरिक्त ये लोग जो रजिस्ट्रेशन नंबर बता रहे हैं वह नंबर पश्चिम बंगाल फॉरेस्ट सर्विस इमप्लॉइज एसोसिएशन के नाम पर पजीकृत है़ उन्होंने आरोप लगाया कि यही रजिस्ट्रेशन नंबर दिखा कर सभी कर्मचारी सदस्य से 12 रूपया चंदा भी वसूला जा रहा है. कभी भी ऑडिट होने पर घोटाले की पूरी जिम्मेदारी पश्चिम बंगाल फॉरेस्ट सर्विस इमप्लॉइज एसोसिएशन की होगी. उन्होंने बताया कि इस मामले में दूसरे संगठन के नेता से बात की जायेगी़ इस मामले में उन्होंने थाने में शिकायत दर्ज कराने की भी धमकी दी़ इस विषय पर पश्चिम बंगाल राज्य सरकारी फेडरेशन के राज्य संयोजक दिव्येंदु राय ने बाताया कि वर्ष 2014 के 22 फरवरी को तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में सभा कर सभी सरकारी कर्मचारियों के लिये एक संगठन पश्चिम बंगाल राज्य सरकारी फेडरेशन बनाने की घोषणा की थी. वर्तमान में तीन संयोजक एवं 31 लोगों की एक कोर कमिटी के माध्यम से इस संगठन को चलाया जा रहा है.
अभी तक इस संगठन के जिला कमिटी का गठन नहीं हुआ है. इसके अलावा अभी तक किसी भी शाखा संगठनों को मान्यता नहीं दी गयी है. विधानसभा चुनाव के बाद संगठन की जिला कमिटी तैयार की जायेगी. इधर पश्चिम बंगाल फॉरेस्ट सर्विस इम्पलॉइज फेडरेशन के केंद्रीय कमिटी के महासचिव अमल सिन्हा ने बताया कि उन लोगों का संगठन काफी पुराना संगठन है. उस समय तृणमूल सत्ता में भी नहीं थी. संगठन के अनुमोदन के लिये पश्चिम बंगाल राज्य सरकारी फेडरेशन से आवेदन किया गया है.
इसके अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन कराने के समय एसोसिएशन के नाम से रजिस्ट्रेशन नंबर लिया गया था. उन्होंने कहा कि यह संगठन एक अराजनीतिक संगठन है. जो लोग आरोप लगा रहे हैं वह इस संगठन के बारे में कुछ नहीं जानते हैं. चंदा लेने पर जो प्रश्न खड़ा हुआ है,वह सही नहीं है़ संगठन में कोइ घोटाला नहीं हुआ है और हर वर्ष ही खातों की ऑडिट हो रही है़