सिलीगुड़ी: पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय चार उग्रवादी संगठनों के संयुक्त मंच यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ वेस्टर्न साउथ ईस्ट एशिया में फूट पड़ने की खबर है. फिलहाल इस संगठन में शामिल प्रमुख उग्रवादी संगठन एनएससीएन (खापलांग)के दो नेता तथा उल्फा चीफ परेश बरूआ के दो सहयोगियों ने समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का निर्णय लिया है. खुफिया विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एनएससीएन (खापलांग) के ये दोनों सदस्य परेश बरूआ के निकट सहयोगी हैं और दोनों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्णय लिया है.
इनमें से एक का नाम जीवन मोरान तथा दूसरे का नाम मिसेल डेका फुकन है. जीवन मोरान न केवल उल्फा के लिए, बल्कि इस संयुक्त संगठन के लिए भी धन इकट्ठा करने का काम करता है. उसे दोनों संगठन में अर्थ सचिव का पद मिला हुआ है. दूसरी तरफ मिसेल डेका फुकन इससे पहले भी आत्मसमर्पण का मन बना चुका था. वह न केवल स्वयं, बल्कि उल्फा चीफ के भी आत्मसमर्पण कराने के पक्ष में है. इससे पहले उसकी इस मुद्दे पर सरकार से बातचीत भी हो चुकी है.
उल्फा चीफ के दो सहयोगियों के साथ छोड़ने की खबर के बाद स्वाभाविक तौर पर उग्रवादियों के संयुक्त मंच की शक्ति काफी कमजोर हो गयी है. यदि इस संगठन को नुकसान पहुंचता है तो स्वाभाविक तौर पर पहले से कमजोर पड़ चुके केएलओ की शक्ति भी करीब-करीब समाप्त हो जायेगी. उत्तर बंगाल में अलग कामतापुर राज्य की मांग को लेकर केएलओ के उग्रवादी संघर्ष कर रहे हैं. वर्तमान में केएलओ के कई उग्रवादी या तो मार दिये गये हैं या फिर जेल में बंद हैं. हालांकि इसका प्रमुख जीवन सिंह अभी भी पुलिस के हाथों से कोसों दूर है.
सरकारी खुफिया सूत्रों ने बताया है कि केएलओ के अलावा एनडीएफबी, एनएससीएन (खापलांग) तथा उल्फा को लेकर उग्रवादियों ने इस वर्ष 15 अप्रैल को इस संगठन का गठन किया था. इस बीच, खुफिया विभाग को जो जानकारी मिली है उसके अनुसार जीवन मोरान मुख्य रूप से एनएससीएन (खापलांग) का सदस्य है.
संयुक्त संगठन बनने के बाद वह परेश बरूआ के साथ मिलकर काम करने लगा था. अभी उसके तथा मिसेल डेका फुकन के म्यांमार में छिपे होने की बात सामने आ रही है. खुफिया सूत्रों ने आगे बताया है कि इन दोनों ने भारतीय गृह मंत्रालय से संपर्क साध कर शांति बैठक करने एवं अपने आत्मसमर्पण की इच्छा प्रकट की है. सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए हरी झंडी भी दे दी है. यह लोग म्यांमार से दिल्ली के लिए रवाना भी हो गये हैं.
दिल्ली पहुंचने के बाद इन लोगों की बैठक गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ होगी. यहां उल्लेखनीय है कि उल्फा प्रमुख परेश बरूआ तथा केएलओ चीफ जीवन सिंह किसी भी कीमत पर आत्मसमर्पण नहीं करना चाहता है. इन लोगों ने भारत सरकार के साथ किसी भी प्रकार की शांति वार्ता का भी विरोध किया है. अब जब इनके दो प्रमुख सहयोगी इनका साथ छोड़कर भारत सरकार के सामने आत्मसमर्पण करने जा रहा है, तो स्वाभाविक तौर पर इन लोगों में खलबली मची हुई है. इस बीच, उल्फा सूत्रों ने बताया है कि दोनों को दिल्ली पहुंचने से रोकने की कोशिश की जा रही है. परेश बरूआ ने अपने दोनों पूर्व सहयोगियों को विश्वासघाती करार दिया है.
सरकार की बढ़ी चिंता
इधर, भारत सरकार को इस बात की चिंता सता रही है कि अपनी शक्ति को कमजोर होता देख उल्फा तथा केएलओ किसी बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दे सकता है. केंद्र सरकार ने इसके लिए असम तथा पश्चिम बंगाल सरकार को भी सतर्क रहने के लिए कहा है. ऐसे सरकार इस बात से खुश भी है कि दो शीर्ष उग्रवादियों के आत्मसमर्पण के बाद पूर्वोत्तर में सक्रिय उल्फा तथा अन्य उग्रवादी संगठनों की ताकत काफी कम हो जायेगी.