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14 तक मांगी गयी रिपोर्ट

पानागढ़ : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिले में बारिश और नदियों में बढ़े जलस्तर के कारण आयी बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया. नवान्न में उच्चस्तरीय बैठक के दौरान उन्होंने बर्दवान जिला शासक डॉ सौमित्र मोहन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की. जिलाशासक श्री मोहन ने उन्हें यहां के हालात से वाकिफ कराया. […]

पानागढ़ : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिले में बारिश और नदियों में बढ़े जलस्तर के कारण आयी बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया. नवान्न में उच्चस्तरीय बैठक के दौरान उन्होंने बर्दवान जिला शासक डॉ सौमित्र मोहन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की. जिलाशासक श्री मोहन ने उन्हें यहां के हालात से वाकिफ कराया.

उन्होंने मुख्यमंत्री को परिस्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि बारिश रुकने के बाद स्थिति में सुधार हुआ है. मुख्यमंत्री ने उन्हें बाढ़ के कारण हुए नुकसान संबंधी रिपोर्ट 14 अगस्त तक तैयार कर जमा करने का निर्देश दिया है.

बताया जाता है कि जिले में मंगलवार को भी नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स के 42 जवानों ने पूर्वस्थली एक नंबर ब्लॉक समेत आउसग्राम के 20 बाढ़ग्रस्त गांव में बचाव व राहत कार्य चलाया. कालना और कटवा महकमा के लिये अतिरिक्त 50 हजार तिरपाल, 100 मिट्रिक टन चावल, 22 मिट्रिक टन बेबी फूड आदि राहत सामग्री की व्यवस्था की गयी है.

जिला बचाव व राहत अधिकारी मृत्युंजय हलदार ने बताया कि एक लाख 35 हजार क्यूसेक से ज्यादा पानी डीवीसी ने छोड़ा गया है. मंगलवार को भी एक लाख से अधिक क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. बारिश रुकने से राहत है.

उद्धार कार्य चलाने में सहूलियत हो रही है. सोमवार को जमालपुर वेडुग्राम, पंचायत अधीन दामोदर बांध टूटने की खबर के बाद सिंचाई विभाग ने युद्धस्तर पर मरम्मत कार्य चलाया. अजय नदी में बढ़े जल के कारण मंगलकोट के कई गांव प्लावित हुये हैं.

कुल 165 ग्राम पंचायत प्रभावित हुये हैं. पांच नगरपालिकाओं के 47 वार्ड पानी में डूब गये हैं. 5841 घर आंशिक एवं 4010 घर संपूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गये हैं. बाढ़ में फंसे ग्रामीणों की संख्या तीन लाख 12 हजार 695 है. कुछ की मौत भी हो गयी है.

मंगलकोट में संदीप दास (21) पानी में बह गया. गलसी सुंदरपुर निवासी राजिना खातून (16) की मौत सांप के काटने से हो गयी. जिला कृषि विभाग अधिकारी जगन्नाथ चटर्जी ने बताया कि कृषिभूमि, फसलों का भारी नुकसान हुआ है. कुल दो लाख हेक्टेयर भूमि पर धान रोपा गया था.

प्राय: 96 हजार हेक्टेयर भूमि की फसल पानी में है. 67 हजार हेक्टेयर भूमि में की गयी धान की खेती नष्ट हो गयी है. दो हजार हेक्टेयर भूमि पर धान का बीज रोपा गया था. पानी में 10,500 हेक्टेर समा गया है. पाट की खेती 9525 हेक्टेयर भूमि पर की गयी थी. 6282 हेक्टेयर भूमि पानी में डूब गया है.

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