खासकर वर्षो से बंद रेडबैक तथा सुरेन्द्रनाथ चाय बागान पर उनकी खास नजर थी. केन्द्रीय मंत्री के इस दौरे के बाद चाय श्रमिकों को ऐसा लग रहा था कि निर्मला सीतारमन शीघ्र ही बंद चाय बागानों को खुलवाने का कोई विशेष व्यवस्था करेंगी. 17 तारीख को चाय उद्योग पर सिलीगुड़ी में हुई उनकी बैठक पर सभी चाय बागानों के श्रमिकों की निगाहें लगी हुई थी. बैठक के बाद जो परिणाम सामने आया, उससे चाय श्रमिक भारी निराश और हताश हैं.
केन्द्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री ने चाय उद्योग के लिए 1425 करोड़ रुपये के परियोजनाओं की तो घोषणा की, लेकिन बंद चाय बागानों को खुलवाने तथा चाय श्रमिकों के कल्याण के लिए किसी भी प्रकार की योजनाओं का ऐलान नहीं किया. उन्होंने इस पूरे मामले में राज्य सरकार पर जिम्मेदारी थोपते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है. उनके इस कदम की चाय श्रमिक तथा विभिन्न श्रमिक यूनियनों ने निंदा की है. पश्चिम बंगाल चा बागान श्रमिक कर्मचारी यूनियन के तराई-डुवार्स रिजन के सहायक सचिव अमूल्य दास ने केन्द्रीय वाणिज्य राज्यमंत्री के दौरे पर कहा कि चाय श्रमिकों को इसका कोई लाभ नहीं हुआ है. उन्होंने चाय बागान मालिकों को खुश करने की कोशिश की है. निर्मला सीतारमन ने चाय बागान में कार्यरत गरीब चाय श्रमिकों की हित की अनदेखी की है. माकपा-माले नॉर्थ बंगाल रिजनल कमेटी के सचिव इन्द्रनील भट्टाचार्य ने भी कहा है कि केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन के वर्तमान दौरे से चाय श्रमिकों को कोई लाभ नहीं हुआ है.
श्री भट्टाचार्य ने आगे कहा कि चाय श्रमिकों की मुख्य मांग न्यूनतम वेतन मजदूरी तय करना है. न्यूनतम मजदूरी तय करने को लेकर काफी दिनों से वह लोग आंदोलन कर रहे हैं. कुछ महीने पहले राज्य सरकार के साथ त्रिपक्षीय बैठक के बाद न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. उसके बाद से अब तक न्यूनतम मजदूरी तय करने की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. उन्होंने आगे कहा कि केन्द्र सरकार राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा कर इस मुद्दे से भाग नहीं सकती. चाय श्रमिकों को राज्य अथवा केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र को लेकर कोई लेना-देना नहीं है. श्रमिकों की मुख्य मांग न्यूनतम मजदूरी तय करने और बंद चाय बागानों को खोलने की रही है. राज्य और केन्द्र सरकार को मिलकर इस दिशा में पहल करनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि इस बदले परिपेक्ष में चाय बागान ट्रेड यूनियनों के संयुक्त संगठन ज्वाइंट फोरम की शीघ्र ही एक बैठक होगी. इस बैठक में केन्द्रीय मंत्री के चाय बागान दौरे पर विचार-विमर्श किया जायेगा. इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी तय नहीं होने की स्थिति में आंदोलन की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जायेगा.