सिलीगुड़ी. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में चाय बागानों के कामगारों की वास्तविक स्थिति पर राज्य के श्रम विभाग से रिपोर्ट मांगेगी. सिलीगुड़ी सहित उत्तर बंगाल के विभिन्न चाय बागानों में काम कर रहे श्रमिकों की दुर्दशा पर सीतारमन ने चिंता जतायी है. केंद्रीय मंत्री दो दिनों के दौरे पर सिलीगुड़ी आयी हुई थीं और इस दौरान उन्होंने डुवार्स के रेडबैक सहित कई बंद चाय बागानों का भी दौरा किया.
इस दौरे के बाद सिलीगुड़ी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चाय बागानों में काम कर रहे श्रमिकों की स्थिति काफी दयनीय है. मूलभूत सुविधाओं से वह लोग वंचित हैं. वेतन इतना कम है कि ठीक से गुजारा कर पाना भी संभव नहीं. इसके अलावा अन्य सुविधाएं भी चाय श्रमिकों को नहीं दी जा रही है. खासकर बंद चाय बागानों की स्थिति तो अत्यंत ही दयनीय है.
वह जो भी चाय बागान गयी वहां के श्रमिकों ने बागान को शीघ्र खोलने की मांग की. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बंद चाय बागानों को यथाशीघ्र खोलने की कोशिश करनी चाहिए. आज के जमाने में भी चाय बागान के कर्मचारियों को मात्र 112 रुपये की दैनिक मजदूरी मिलती है और अगले तीन वर्षो में हरेक वर्ष 10 रुपये बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. ऐसे में तीन वर्ष बाद श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 142 रुपये होगी, जो काफी कम है. उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार पर भी तीखा हमला किया. सीतारमन ने कहा कि श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी मिले और उन्हें बागान मालिक अन्य आवश्यक सुविधाएं दे, इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. राज्य सरकार के श्रम विभाग के अधिकारी को चाय बागान श्रमिकों के हित को सुनिश्चित करना चाहिए.
चाय श्रमिकों की स्थिति पर राज्य..
उन्होंने बताया कि सिलीगुड़ी, तराई तथा डुवार्स के चाय बागान श्रमिकों की सबसे बड़ी समस्या न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलना है. अधिकांश चाय बागानों में चिकित्सा सुविधा की भारी कमी है. बागान में एम्बुलेंस तक की व्यवस्था नहीं है. राज्य सरकार को ऐसे चाय बागानों को चिन्हित कर उसके प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. सीतारमन ने आगे कहा कि चाय बागानों में भुखमरी से श्रमिकों की मौत की खबर आने के बाद केंद्रीय वाणिज्य मंत्रलय की ओर से उन्होंने राज्य सरकार को चिट्ठी लिख कर पूरी जानकारी मांगी थी. राज्य सरकार ने जो जवाब दिया, उसके अनुसार एक भी चाय श्रमिक की मौत भूख की वजह से नहीं हुई है. उन्होंने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए आगे कहा कि चाय श्रमिकों की स्थिति को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने किसी भी प्रकार की पैकेज की मांग नहीं की है. यहां उल्लेखनीय है कि उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने कहा था कि चाय श्रमिकों की स्थिति सुधारने के लिए केंद्र सरकार को उन्होंने राज्य की ओर से एक प्रस्ताव दिया है. सीतारमन ने साफ तौर पर कहा कि राज्य सरकार ने किसी भी प्रकार के पैकेज की मांग नहीं की है. यदि इस प्रकार के पैकेज की मांग की जाती, तो वाणिज्य मंत्रलय द्वारा इस पर जरूर विचार किया जाता.
चाय मंत्रालय बनाने का प्रस्ताव नहीं
सीतारमन ने कहा कि चाय बागानों के लिए केंद्र सरकार में अलग से चाय मंत्रलय बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उनसे जब यह पूछा गया कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद दाजिर्लिंग के सांसद एसएस अहलुवालिया ने चाय उद्योग के लिए अलग से चाय मंत्रलय बनाने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखने की घोषणा की थी, इस पर सीतारमन ने कहा कि इस प्रकार के किसी भी प्रस्ताव के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. इस दौरान सांसद एसएस अहलुवालिया भी वहीं मौजूद थे.
निर्यात में आ रही है कमी
सीतारमन ने कहा कि भारतीय चाय के निर्यात में पिछले कुछ वर्षो के दौरान भारी कमी आ रही है. भारतीय चाय का सबसे प्रमुख ब्रांड दाजिर्लिंग चाय की मांग में भी कमी आयी है. उन्होंने निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि चाय की बदौलत बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा हम कमा सकते हैं. उत्तर बंगाल के चाय के साथ-साथ दाजिर्लिंग चाय की भारी मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में है. विशेष कोशिश कर एक बार फिर से निर्यात बढ़ाया जायेगा. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में श्रीलंका तथा केन्या से भारतीय चाय को कड़ी चुनौती मिल रही है.