सिलीगुड़ी: दो संगठनों की अहं की लड़ाई में फंसी दो महीने की ‘अनन्या’ को नया ठिकाना मिल गया है. सिलीगुड़ी जिला अस्पताल ने नन्ही अन्नया की कस्टडी तीनधरिया स्थित मिशनरी ऑफ चैरिटी के शांति भवन को सौंप दी है. शांति भवन की इंचार्ज सेविका साह आज दिन के करीब दो बजे सिलीगुड़ी जिला अस्पताल आयीं और सरकारी कागजी औपचारिकता के बाद बच्ची को अपने साथ तीनधरिया ले गयीं. अगर कोई इस बच्ची को गोद नहीं लेता है, तो अगले 6 वर्षो तक यह बच्ची तीनधरिया में ही रहेगी.
सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में जिला बाल कल्याण अधिकारी (डीसीपीओ) मृणाल घोष की उपस्थिति में अस्पताल अधीक्षक अमिताभ मंडल ने नन्हीं अनन्या को शांति भवन की इंचार्ज सेविका साहा को सौंप दिया. इस अवसर पर बाल कल्याण समिति तथा चाइल्ड लाइन के अधिकारी दुर्गा मांझी और कन्हैया साह तथा अस्पताल के कइ अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे. बच्ची को सौंपते समय अस्पताल की नर्से भावुक हो गईं. यह बच्ची पिछले दो महीने से नर्सो के सिस्टर रूम में ही रह रही थी और सभी नर्से मिलकर बच्ची की देखभाल करती थी. हालांकि नर्सो ने बच्ची को उचित ठिकाना मिलने पर अपनी खुशी भी जाहिर की है. लेकिन नर्सो का यह भी कहना था कि बेवजह दो विभागों की लड़ाई के बीच दो महीने तक नन्हीं सी बच्ची को अस्पताल के सिस्टर रूम में रहना पड़ा. इधर, डीसीपीओ मृणाल घोष ने भी पूरी प्रक्रिया संपन्न होने पर अपनी खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि बच्ची को कोई गोद लेने के लिए तैयार हो जाये, इसकी पहल की जा रही है. बच्ची पर अब शिशु कल्याण समिति के अधिकारी भी नजर रखेंगे. शिशु कल्याण समिति की ओर से बच्ची के पूर्णत: स्वस्थ होने तथा किसी को गोद देने की सिफारिश मिलते ही बच्ची को गोद देने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी.
इस बीच, चाइल्ड लाइन की ओर से सोनू छेत्री ने बताया है कि इस महीने की 10 तारीख को अस्पताल अधीक्षक अमिताभ मंडल ने बच्ची को स्वस्थ बताया था और इस संबंध में एक रिपोर्ट शिशु कल्याण समिति के साथ ही एसडीओ दीपा प्रिया पी को सौंप दी थी.
उसके बाद ही बच्ची को शांति होम में भेजे जाने का निर्णय लिया गया.यहां उल्लेखनीय है कि अब तक अनन्या सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के सिस्टर रूम में रह रही थी. चार सितंबर को किसी कुंवारी मां ने जन्म देने के बाद उस नवजात बच्ची को लेक टाउन इलाके में फेंक दिया था, जहां से न्यू जलपाईगुड़ी आउट पोस्ट की पुलिस ने उसे बरामद कर सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया था. प्राथमिक चिकित्सा के बाद नन्हीं ‘अनन्या’ स्वस्थ हो गई, लेकिन कोई उसे लेने नहीं आया. अस्पताल के नर्सो ने सिस्टर रूम में उसके रहने का इंतजाम किया और नर्सो ने ही उसे ‘अनन्या’ नाम दिया. इस आशय की खबर ‘प्रभात खबर’ में 4 नवंबर को प्रकाशित होने के बाद एसडीओ दीपाप प्रिया पी ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिये. जांच का जिम्मा जिला बाल कल्याण अधिकारी मृणाल घोष को सौंपा गया. मृणाल घोष ने पूरे मामले की जांच कर एसडीओ को अपनी रिपोर्ट सौंप दी , जिसमें उन्होंने नन्ही ‘अनन्या’ को स्वस्थ बताते हुए तीनधरिया स्थित मिशनरी ऑफ चैरिटी के शांति भवन में भेजने की सिफारिश की थी.
क्या है मामला
इस वर्ष 4 सितंबर को सिलीगुड़ी के लेकटाउन इलाके के कुछ लोगों ने एनजेपी आउट पोस्ट पुलिस को फोन करके एक नवजात बच्ची के पड़े होने की जानकारी दी थी. उसके बाद एनजेपी पुलिस की पेट्रोलिंग टीम ने उस बच्ची को वहां से बरामद कर सिलीगुड़ी सदर अस्पताल में भर्ती कर दिया. कुछ दिनों बाद ही बच्ची स्वस्थ हो गयी, लेकिन उसको कोई अपनाने वाला नहीं था. तब से लेकर यह बच्ची सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में ही पड़ी हुई थी.
पुलिस का कहना था कि बच्ची को किसी कुंवारी मां ने जन्म दिया है और उसे अपनाने से इनकार कर दिया. नियमानुसार बच्ची के स्वस्थ होने के बाद उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंप दिया जाना चाहिए था. इस प्रकार के बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की है.लेकिन सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अमिताभ मंडल तथा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अहम् की लड़ाई में नन्हीं अनन्या की जिंदगी फंस गई थी. खासकर डॉ. अमिताभ मंडल के अड़ियल रवैये के कारण स्थिति बिगड़ गई थी. अस्पताल की नर्से ही इस बच्ची के खाने-पीने की व्यवस्था कर रही थी.
क्या कहते हैं समाजसेवी
सिलीगुड़ी के प्रमुख समाजसेवी तथा वेस्ट बंगाल वोलंटियरी ब्लड डोनर फोरम के अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का कहना है कि अन्नया को नया ठिकाना मिलने की खबर को सुन कर वह बेहद खुश है.उन्होंने कहा कि यदि अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर अमिताभ मंडल इस पर अड़ियल रूख नहीं अपनाते तो समस्या का समाधान कब का हो गया होता.उन्होंने इस मामले को उठाने के लिए प्रभात खबर को भी धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि देरी से ही सही लेकिन यह एक सराहनीय कदम है.