श्रमिकों का सवाल-क्या यह परियोजना वास्तव में लागू होगी?
राज्य सरकार ने बजट में चाय सुंदरी योजना को किया है शामिल
कालचीनी : सोमवार को राज्य का बजट पेश किया गया. यह बजट में चाय बागान के श्रमिकों के लिए राज्य सरकार ने एक नये प्रकल्प ‘चाय सुंदरी’ को लागू किया, जिसके तहत चाय बागान के श्रमिकों को सरकार की ओर से नये घर प्रदान किए जाएंगे. वहीं सरकार के इस नये चाय सुंदरी प्रकल्प को लेकर चाय श्रमिकों के साथ-साथ विभिन्न श्रमिक संगठन के नेतृत्व ने भी अपना राय व्यक्त किया.
इस विषय पर विभिन्न चाय बागानों के श्रमिकों का कहना है कि हमारे चाय बागान में ऐसे बहुत से श्रमिक है, जिनका घर टूटा-फूटा अवस्था में है. खासकर बरसात में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कई श्रमिकों के घरों को हाथियों ने आक्रमण कर क्षतिग्रस्त कर दिया है, जिसका मरम्मत अब तक नहीं हुआ.
ऐसे कितने श्रमिक हैं जो बगैर घर के चारों ओर से प्लास्टिक व त्रिपाल लगाकर बागानों में दिन यापन कर रहे हैं. श्रमिकों ने कहा, यही वास्तविकता है लेकिन सरकार का यह चाय सुंदरी प्रकल्प की सुविधा अगर श्रमिकों को मिलती है तो वाकई में इससे चाय बागानों के श्रमिक काफी हद तक उपकृत होंगे.
तृणमूल चाय बागान मजदूर यूनियन संगठन के केंद्रीय कमेटी के सह सचिव असीम मजूमदार ने बताया कि संपूर्ण उत्तर बंगाल के अधिकांश चाय श्रमिकों के सर पर छत का साया नहीं हैं. कितने ऐसे श्रमिक हैं जो श्रमिक टूटे-फूटे घरों पर प्लास्टिक व त्रिपाल लगाकर किसी तरह दिन गुजारा कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह चाय सुंदरी प्रकल्प से उन समस्त चाय श्रमिकों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होगी. वहीं बीजेपी चाय बागान मजदूर यूनियन संगठन के अलीपुरदुआर जिला अध्यक्ष आसिम कुमार लामा ने बताया कि बागान का सम्पूर्ण जमीन तो लीज की जमीन हैं. यहां के श्रमिक जिस जमीन पर निवास कर रहे है, अबतक उन्हें उनके हक से वंचित रखा गया है. श्रमिकों को आज तक जमीन का पट्टा नहीं मिला है. उन्होंने कहा सिर्फ घोषणा करने से नहीं होगा, वास्तव में करना होगा.