स्वयंसेवी संगठन के नेतृत्व में अस्पताल के सामने धरना-प्रदर्शन
जलपाईगुड़ी : जिला एवं सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की चिकित्सकीय सेवा की बदहाली के खिलाफ एक स्वयंसेवी संगठन के नेतृत्व में अस्पताल के सामने धरना प्रदर्शन किया गया. शुक्रवार की दोपहर को धरना शुरु करते ही कोतवाली थाना पुलिस ने इसमें बाधा दी और अस्पताल के सामने नियमों की अनदेखी करते हुए आंदोलन करने के आरोप में दो महिला समेत सात सदस्यों को हिरासत में लिया.
वहीं, आंदोलन में भाजपा के कई युवा नेताओं की भागीदारी से यह सवाल भी उठा कि क्या भाजपा इस आंदोलन के पीछे है? हालांकि स्वयंसेवी संगठन के सचिव अंकुर दास ने बताया कि वे खुद तृणमूल कार्यकर्ता हैं.
यह कोई राजनैतिक आंदोलन नहीं था. स्वास्थ्य सेवा में सुधार को लेकर संगठन आवाज उठा रहा था लेकिन पुलिस ने अलोकतांत्रिक तरीके से बाधा देकर उसे रोक दिया. वहीं, भाजपा के युवा मोरचा के जिलाध्यक्ष श्याम प्रसाद ने कहा कि वे और उनके सहयोगी एक नागरिक के रुप में इस आंदोलन में शामिल हुए थे न कि भाजपाई होने के नाते. पुलिस ने आज अन्यायपूर्वक इस सामाजिक आंदोलन को बाधित किया है.
उधर, तृणमूल के जिला महासचिव चंदन भौमिक ने कहा कि किसी भी स्वयंसेवी संगठन को राजनीतिक रंग देना ठीक नहीं है. लेकिन जिस तरह से अस्पताल के सामने धरना प्रदर्शन किया गया वह भी उचित नहीं था. शिकायत थी तो इसके लिये अस्पताल प्रबंधन को ज्ञापन दिया जा सकता था. प्रशासन ने अपना काम किया है. इसके औचित्य को लेकर सवाल हो सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि यह आंदोलन जिला अस्पताल के विभिन्न वार्ड को सुपर स्पेशलिटी से जिला अस्पताल में लाने, जिन चिकित्सकों का तबादला हुआ है और जिन्होंने इस्तीफा दिया है उन्हें वापस नियुक्त करने समेत चार सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन आज धरना शुरु होते ही डीएसपी (मुख्यालय) के नेतृत्व में विशाल पुलिस बल ने पहुंचकर आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया. पहली दफे संगठन के चार सदस्यों को पुलिस ने हिरासत में लेकर थाने ले गयी. उसके बाद धरने पर सचिव अंकुर दास और दो महिलाओं के धरना स्थल पर बैठते ही पुलिस ने उन्हें भी हिरासत में लिया.
अंकुर दास ने बताया कि जिला और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की सेवा का स्तर निम्नतम स्तर पर पहुंचा है. बहुत से डॉक्टर या तो नौकरी छोड़ चुके हैं या उनका तबादला कर दिया गया है. इसके पीछे चिकित्सक सुशांत राय का हाथ है. इसलिये हम लोग उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. हालांकि डॉ. सुशांत सरकार का कहना हैकि विभिन्न कारणों से 11 डॉक्टरों का तबादला हुआ है. लेकिन उनके खिलाफ आरोप बेबुनियाद हैं.
जलपाईगुड़ी कोतवाली थाना के आईसी विश्वाश्रय सरकार ने बताया कि अस्पताल जैसे संवेदनशील संस्था के सामने इस तरह से आंदोलन नहीं किया जा सकता. संगठन ने नियमों की अनदेखी की है. इसके लिये उनके सात सदस्यों को हिरासत में लिया गया है.