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तस्करी का शिकार युवतियां लौटीं बांग्लादेश
सिलीगुड़ी : मानव तस्करी का शिकार हुई छह बांग्लादेशी युवतियों को वापस उनके देश पहुंचाया गया. इस नेक काम में भारत के गैर सरकारी संगठन इम्पल्स ने अहम भूमिका निभायी. सिलीगुड़ी से सटे फूलबाड़ी सीमांत पर दोनों देशों के सीमा रक्षकों के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में इन युवतियों को उनके परिवारवालों के हवाले कर […]
सिलीगुड़ी : मानव तस्करी का शिकार हुई छह बांग्लादेशी युवतियों को वापस उनके देश पहुंचाया गया. इस नेक काम में भारत के गैर सरकारी संगठन इम्पल्स ने अहम भूमिका निभायी. सिलीगुड़ी से सटे फूलबाड़ी सीमांत पर दोनों देशों के सीमा रक्षकों के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में इन युवतियों को उनके परिवारवालों के हवाले कर दिया गया. उत्तर बंगाल के अलावा नेपाल व बांग्लादेश से किशोरियों-युवतियों की तस्करी भारत के विभिन्न हिस्सों में होती है, जिसके लिए सिलीगुड़ी कॉरिडोर का इस्तेमाल होता है.
नौकरी का लालच देकर व प्रेम जाल में फांसकर किशोरियों व युवतियों की तस्करी होती है. बांग्लादेश से इसी तरह तस्करी की शिकार हुई एक नाबालिग सहित छह युवतियों को उनके घर बांग्लादेश पहुंचा दिया गया. वर्षों बाद अपने परिवारवालों से मिलकर वे फूली नहीं समा रही थीं. परिवार के सदस्यों की आंखें भी छलछला आयीं.
अपने घर लौटनेवाली युवतियां बांग्लादेश के जशोर, खागराछड़ी, बागेरहाट, खुलना व पटुआ जिलों की हैं. कई साल पहले इन्हें बांग्लादेश से तस्करी कर भारत लाया गया था. बाद में एक-एक करके ये युवतियां मेघालय के शिलांग स्थित इम्पल्स एनजीओ के हाथ लगीं. सभी को बरामद कर संस्था ने चेन्नई के एक सरकारी होम में रखवाया.
इन सभी को बांग्लादेश भेजने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद बीते 15 जून को इन्हें चेन्नई से सिलीगुड़ी लाया गया. रविवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) व बोर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के उपस्थिति में युवतियों को उनके परिवार के हवाले किया. इस मौके पर बीएसएफ 51 बटालियन के कमांडेंट के. उमेश व बीजीबी के लेफ्टिनेंट कर्नल एरशादुल हक उपस्थित थे.
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