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बंगाल में हिंदीभाषी पूरी तरह सुरक्षित, नया हिंदी विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा

सिलीगुड़ी : पश्चिम बंगाल में हिंदी भाषियों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी. राज्य सरकार उनकी सुरक्षा तथा उनके विकास के लिए हमेशा से ही तत्पर है. दूसरे राज्यों से हिंदीभाषी भले ही यहां आए लेकिन अब वह पश्चिम बंगाल के ही हो कर रह गए हैं. इसलिए हिंदी भाषियों को अब […]

सिलीगुड़ी : पश्चिम बंगाल में हिंदी भाषियों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी. राज्य सरकार उनकी सुरक्षा तथा उनके विकास के लिए हमेशा से ही तत्पर है. दूसरे राज्यों से हिंदीभाषी भले ही यहां आए लेकिन अब वह पश्चिम बंगाल के ही हो कर रह गए हैं. इसलिए हिंदी भाषियों को अब किसी से भी डरने की कोई जरूरत नहीं है.
ना केवल हिंदीभाषी बल्कि हिंदी भाषा के विकास के लिए भी राज्य की तृणमूल सरकार लगातार कोशिश कर रही है. यह बातें राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कही. वह बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल हिंदीभाषी परिषद की एक सभा को संबोधित कर रही थी. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में हिंदी का काफी विकास हुआ है. सिर्फ हिंदी ही नहीं अन्य भाषाओं को विकसित करने की कोशिश भी राज्य सरकार कर रही है.
राजवंशी, कामतापुरी, कुर्क आदि तमाम भाषाओं को विकसित करने के लिए राज्य सरकार ने एक योजना बनाई है.इसके अलावा आने वाले दिनों में उत्तर बंगाल में एक हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी. ममता बनर्जी ने कहा कि उनके सत्ता में आने के बाद से उत्तर बंगाल में विकास के कई काम हुए हैं. जिसमें हिंदी भाषा का भी विकास हुआ है. बानरहाट तथा सिलीगुड़ी में हिंदी कॉलेजों की स्थापना की गई है. और भी कई हिंदी कॉलेज बनाए जा रहे हैं.
अब तक हिंदी विश्वविद्यालय उत्तर बंगाल में नहीं है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आने वाले दिनों में राज्य सरकार उत्तर बंगाल में हिंदी विश्वविद्यालय स्थापित करेगी. इसके साथ ही राज्य के विभिन्न कॉलेजों में हिंदी भाषा की पढ़ाई पहले से ही हो रही है. उन्होंने छठ पूजा में सरकारी छुट्टी देने का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वह स्वयं सुर्य देवता की पूजा करती हैं. पश्चिम बंगाल में काफी संख्या में हिंदीभाषी छठ पूजा करते हैं. इसी को ध्यान में रखकर छठ पूजा पर सरकारी छुट्टी की घोषणा की गयी.उन्होंने कहा कि उत्तर बंगाल अब पहले जैसा उत्तर बंगाल नहीं रहा. उत्तर बंगाल का काफी विकास हुआ है.
सिलीगुड़ी में मिनी सचिवालय तक की स्थापना कर दी गई है. भोरेर आलो जैसे बड़े देश के सबसे बड़े पर्यटन हब का भी उद्घाटन हो चुका .है कुछ साल पहले बंगाल सफारी पार्क की शुरुआत भी सिलीगुड़ी में की गई है. आने वाले दिनों में और भी कई विकास परियोजनाएं उत्तर बंगाल में शुरू की जाएगी. जिसका लाभ हिंदी भाषियों को भी मिलेगा.
इससे पहले दिन के करीब 4:00 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच मुख्यमंत्री उत्तर बंगाल मारवाड़ी पैलेस पहुंची. यहां काफी संख्या में हिंदीभाषी जमा थे. इन लोगों ने तालियों की ध्वनि के साथ मुख्यमंत्री का स्वागत किया. मुख्यमंत्री के साथ मंच पर पर्यटन मंत्री गौतम देव, खेलमंत्री अरूप बिश्वास, मंत्री इंद्रनील सेन के अलावा उत्तर बंगाल के प्रमुख उद्योगपति तथा पश्चिम बंगाल हिंदीभाषी परिषद के अध्यक्ष कमल मित्तल भी उपस्थित थे. मुख्यमंत्री का कमल मित्तल तथा आरके अग्रवाल ने फूलों के गुलदस्ते तथा मोमेंटो के साथ स्वागत किया व मंच का संचालन दिलीप दुगड़ ने किया उन्होने कहा कि दीदी पुरे उत्तर बंगाल के मन में रच बस गयी है.
उत्तर बंगाल की मां हैं ममता: कमल मित्तल
इस मौके पर स्वागत भाषण देते हुए कमल मित्तल ने कहा कि हिंदी भाषियों को एक मंच देने तथा सब के सुख दुख में शामिल होने के लिए इस नए संगठन का गठन हुआ है. इस संगठन का मकसद हिंदी भाषियों में आपसी सौहार्द एवं भाईचारा बढ़ाना है. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दीदी नहीं बल्कि उत्तर बंगाल के लिए मां करार दिया.
श्री मित्तल ने कहा कि सत्ता में आने के बाद से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मां के रूप में सिलीगुड़ी सहित पूरे उत्तर बंगाल का लालन-पालन किया है. पहले बंद की वजह से सिलीगुड़ी के लोग काफी परेशान रहते थे. कभी पहाड़ बंद तो कभी दूसरे स्थानों पर बंद की वजह से विकास कार्यों पर बुरा प्रभाव पड़ा था. अब ममता बनर्जी ने बंद की संस्कृति को ही पूरी तरह से समाप्त कर दिया है. उसके बाद से उत्तर बंगाल का तेजी से विकास हो रहा है. उन्होंने हिंदी कॉलेजों की स्थापना तथा छठ पूजा में छुट्टी के लिए मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया.

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