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कांग्रेस से मित्रता पर हाईकमान के स्तर पर होगी चर्चा : गोजमुमो
दार्जिलिंग : आगामी लोकसभा चुनाव के लिये अगर कांग्रेस ने गोजमुमो की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया तो इस पार्टी हाई कमान स्तर पर चर्चा किया जा सकता है. पिछले वर्ष से पहाड़ का राजनीतिक समीकरण बदल चुका है. गोजमुमो विनय गुट भी भाजपा पर लगातार विश्वासघात का आरोप लगाते आ रही है. इसको लेकर […]
दार्जिलिंग : आगामी लोकसभा चुनाव के लिये अगर कांग्रेस ने गोजमुमो की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया तो इस पार्टी हाई कमान स्तर पर चर्चा किया जा सकता है. पिछले वर्ष से पहाड़ का राजनीतिक समीकरण बदल चुका है. गोजमुमो विनय गुट भी भाजपा पर लगातार विश्वासघात का आरोप लगाते आ रही है. इसको लेकर गोजमुमो विनय गुट के केंद्रीय कोर कमेटी सदस्य एवं दार्जिलिंग महकमा समिति अध्यक्ष आलोक कांत मणि थुलुंग के साथ हुये बातचीत में कहा कि होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ दोस्ती मंजूर नहीं होगा. लेकिन अगर कांग्रेस ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो उस पर पार्टी हाई कमान में चर्चा की जायेगी.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजनीति के विषयों पर क्या करना है, उस पर निर्णय लिया जायेगा. आजादी के बाद दार्जिलिग के निवासियों के हित में जो भी कार्य हुआ है, वह कांग्रेस के शासनकाल में ही हुआ है.
1988 में दार्जिलिंग गोर्खा पार्वतीय परिषद का गठन किया गया था. उसके बाद 1992 में नेपाली भाषा को संवैधानिक मान्यता प्राप्त हुआ. 2011 में गोर्खालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के दस्तावेज पर त्रिपक्षीय समझौता हुआ था. श्री थुलुंग ने कहा कि इसके बावजूद भी कोई निर्णय लेने से पहले पार्टी हाई कमान में चर्चा परिचर्चा जरूरी है. नेशनल पोलिटिक्स को भी ध्यान में रखना जरूरी है. दार्जिलिंग की जनता ने भाजपा पर विश्वास करके दो-दो बार लोकसभा से सांसद दिया है.
पिछले साल 2017 में पहाड़ पर हुये गोर्खालैंड आंदोलन के दौरान केन्द्र की भाजपा सरकार ने पहाड़ वासियों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात किया है. उसके कारण गोर्खाओ के गोर्खालैंड की मांग दो कदम पीछे चला गया है. बंगाल में किसी की भी सरकार बने, परंतु बंगाल विभाजन का विरोध करना उसका राजनीतिक धर्म बनता है. उसी तरह से हम गोर्खालैंड समर्थकों को बंगाल विभाजन करके गोर्खालैंड राज्य की मांग करना राजनैतिक धर्म है.
उन्होंने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2017 में हुये सर्वदलीय बैठक के दौरान गोर्खालैंड राज्य सरकार का विषय नहीं बल्कि केन्द्र सरकार का विषय होने की बातें साफ तौर पर बता कह चुकी है. केन्द्र की भाजपा सरकार ने इस बारे में एक कदम भी नहीं उठाया है.
विदित हो कि गुरूवार को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने दार्जिलिंग शहर में बढ़ते पेट्रोलियम प्रदार्थ की मूल्य वृद्धि, एनआरसी और राफेल घोटाला आदि जैसे विषयों पर विरोध रैली निकाला था.
आयोजित विरोध रैली में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव विजेंद्र प्रताप सिंह, कांग्रेस विधायक शंकर मालाकार ने भाग लिया था. उस दौरान पत्रकारों के साथ हुये बातचीत में सचिव विजेन्द्र प्रताप सिंह और विधायक मालाकार ने 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों के साथ कांग्रेस ने गठजोड़ का संकेत दिया था.
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