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काम के लिए नाम दर्ज कराने श्रमिकों की उमड़ी भीड़

परिवहन विभाग के अधिकारी ने एक श्रमिक को पकड़ा कार्यालय में बंद कर उठक-बैठक कराने का आरोप मालदा : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा राज्य में ही नियमित रोजगार दिलाने की घोषणा के बाद से जिला प्रशासनिक भवन के सामने श्रमिकों की भीड़ लगनी शुरू हो गई है. इसी दौरान सोमवार को एक अधिकारी पर श्रमिक […]

परिवहन विभाग के अधिकारी ने एक श्रमिक को पकड़ा

कार्यालय में बंद कर उठक-बैठक कराने का आरोप
मालदा : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा राज्य में ही नियमित रोजगार दिलाने की घोषणा के बाद से जिला प्रशासनिक भवन के सामने श्रमिकों की भीड़ लगनी शुरू हो गई है. इसी दौरान सोमवार को एक अधिकारी पर श्रमिक के साथ अपने कार्यालय में बंद कर कान पकड़कर उठक- बैठक कराने का आरोप लगा है. आंचलिक परिवहन विभाग के इस आरोपी अधिकारी का नाम तपन मल्लिक है. हालांकि बाद में अतिरिक्त जिलाधिकारी आर बिमला के हस्तक्षेप से श्रमिक मतिउर रहमान को छोड़ दिया गया. उल्लेखनीय है कि काम की तलाश में दूसरे राज्यों में गए श्रमिकों की एक के बाद एक मौत की घटना से चिंतित मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में कई घोषणाएं की.
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि अपने राज्य में नाम सूचीबद्ध करने पर श्रमिकों को सौ दिन के बदले दो सौ दिनों का काम मिलेगा. इसके अलावा आवेदन करने पर राज्य सरकार जांच कर श्रमिकों को एकमुश्त 50 हजार रुपये भी देगी. इससे श्रमिक मजदूरी छोड़कर अपना छोटामोटा व्यवसाय भी कर सकेंगे. मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद ही नाम सूचीबद्ध करने के लिए पिछले कई दिनों से जिला प्रशासनिक विभाग के सामने श्रमिकों की लंबी लाइन लग रही है. सोमवार को इस लाइन में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. यह देखकर श्रम विभाग एवं सामज कल्याण विभाग के अलावा अन्य अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा.
जिला प्रशासनिक भवन की पहली मंजिल में आंचलिक परिवहन अधिकारी का कार्यालय है. विभाग के कुछ कर्मियों का कहना है कि श्रमिकों की भीड़ की वजह से यहां का कामकाज बाधित हो रहा था. आरोप है कि इसी दौरान अधिकारी तपन मल्लिक वहां तेजी से पहुंचे एवं एक श्रमिक मतिउर रहमान को पकड़ लिया. इसके बाद आंचलिक परिवहन विभाग के यह अधिकारी मतिउर को अपने कार्यालय में ले गये एवं उसे कान पकड़कर उठक- बैठक करने के लिए कहा.
इस श्रमिक ने बताया कि आवेदन पत्र जमा लिये जाने के बावजूद कोई रिसिव कॉपी नहीं दी जा रही है. इसका विरोध किया था. इसलिए अधिकारी ने मुझे बुलाकर कान पकड़कर उठक- बैठक करवाया. इतना ही नहीं काफी देर तक कान पकड़वाकर खड़े कर रखा. वहां मौजूद कई और श्रमिकों ने मतिउर का समर्थन किया. आखिरकार अतिरिक्त जिलाधिकारी आर बिमला के पास यह मुद्दा पहुंचा. उनके निर्देश पर श्रमिक को छोड़ दिया गया. बाद में भीड़ को संभालने के लिए अतिरिक्त जिलाधिकारी को खुद लाउडस्पीकर संभालनी पड़ी. हालांकि इस घटना को लेकर आंचलिक परिवहन विभाग के अधिकारी तपन मल्लिक ने कोई मंतव्य करने से इनकार कर दिया है.

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