सिलीगुड़ी. चिकित्सा में लापरवाही और बदहाली के आरोप सिलीगुड़ी जिला अस्पताल पर लगते रहते हैं. डॉक्टरों की मनमानी की वजह से फिर एक बार अस्पताल में हंगामा मच गया. शनिवार को दिन के एक बजे तक सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के शिशु विभाग की ओपीडी में डॉक्टर उपस्थित नहीं थे. सुबह 9 बजे से कतार में खड़ी महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा. सबने अस्पताल में जम कर हंगामा किया. डॉक्टरों के सामने नतमस्तक अस्पताल प्रबंधन ने इमरजेंसी विभाग के डॉक्टरों के सहारे वैकल्पिक व्यवस्था कर स्थिति को नियंत्रित किया. अस्पताल अधीक्षक ने अनुपस्थित डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.
सिलीगुड़ी जिला अस्पताल का ओपीडी विभाग सुबह 11 बजे खुलता है. जबकि टिकट कटाकर लोग 9 बजे ही कतार में खड़े हो जाते हैं. टिकट काउंटर पर सुबह से ही लंबी कतार लगती है. इतनी मशक्कत के बाद भी डॉक्टर समय पर न मिले तो लोगों का गुस्सा होना लाजमी है. शनिवार को बुखार आदि से पीड़ित छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर 50 से अधिक महिलाएं शिशु विभाग के सामने सुबह से कतार में खड़ी थीं. दिन के एक बजे तक डॉक्टर अस्पताल के कमरा नंबर 17 में मौजूद नहीं थे. इस पर महिलाएं बौखला गयीं और हंगामा शुरू किया. खबर मिलते ही अस्पताल के सहायक अधीक्षक सागर सीट ने कमान संभाला. उन्होंने इलाज को आये बच्चों को इमरजेंसी के डॉक्टरों से चिकित्सा कराने की वैकल्पिक व्यवस्था की. परिसेवा मिलने के बाद महिलाएं शांत हुईं.
महिलाओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि यदि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है तो संबंधित विभाग का ओपीडी बंद कर देना चाहिए. ताकि रोगी व उनके परिजनों को हैरान न होना पड़े. यदि आज पीडियाट्रिक में डॉक्टर अनुपस्थित थे तो काउंटर पर टिकट नहीं देना चाहिए था. अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, किसी संस्था ने शहर में पीडीयाट्रिक से संबंधित एक सेमिनार का आयोजन किया है. ओपीडी के डॉक्टर उसी सेमिनार में गये थे. जबकि ओपीडी को सुचारु रखने का सख्त निर्देश दिया गया था.
इस संबंध में सिलीगुड़ी जिला अस्पताल अधीक्षक अमिताभ मंडल ने बताया कि सेमिनार में जाने की बात डॉक्टरों ने कही थी. लेकिन उन्हें किसी सूरत में ओपीडी बंद रखने को नहीं कहा गया था. ओपीडी को सुचारु रखकर सेमिनार में जाने की छूट दी गयी थी. जबकि आज सेमिनार में जाने से पहले डॉक्टरों ने किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली. सेमिनार में जाने की वजह से ही यह समस्या उत्पन्न हुई. वैकल्पिक व्यवस्था कर समस्या का समाधान कर दिया गया. बिना अनुमति के ओपीडी बंद कर सेमिनार में जानेवाले डॉक्टरों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया जायेगा.