छह वर्षों के लिए तृणमूल के दिग्गज मुकुल राय को पार्टी से निष्कासित किया गया है. इससे पार्टी में टूट की संभावना बन गयी है.मुकुल राय की बगावत पार्टी पर भारी पड़ने की संभावना है. उनके निकटवर्ती सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दीपावली के बाद मुकुल राय तृणमूल को एक बड़ा झटका देने का प्लान तैयार कर रहे हैं. तृणमूल के कई सांसद व विधायक उनके संपर्क में हैं.
उत्तर बंगाल व सिलीगुड़ी से भी कई नेतागण व बूथ लेवल कर्मी मुकुल राय के लगातार संपर्क में हैं. दार्जिलिंग जिला तृणमूल में कई ऐसे नेता व कर्मी है जो पार्टी से खुश नहीं हैं. फिर भी राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व वरिष्ठ नेताओं का गुणगान करने के अलावा उनके पास दूसरा कोई चारा भी नहीं है. पहले दिन से तृणमूल करने वाले कई ऐसे नेता व कर्मी है जिन्हें पार्टी में सम्मान नहीं मिला. फिर भी अपना दर्द छिपाये ये लोग पार्टी का जय-जयकार करते आ रहा हैं. लेकिन मुकुल राय द्वारा एक नयी पार्टी गठन की हवा या भाजपा में जाने के अटकलों ने दार्जिलिंग जिला तृणमूल को भी झकझोर दिया है.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक उचित सम्मान ना मिलने की वजह से ही तृणमूल के दिग्गज नेता मुकुल राय ने बगावत किया है. सिलीगुड़ी के एक नाराज तृणमूल नेता ने बताया कि दार्जिलिंग जिला तृणमूल में भी कई ऐसे नेता व कार्यकर्ता हैं जिन्हें उनका हक नहीं मिला है. दूसरी पार्टी से आये नेताओं को मान-सम्मान व पद प्रतिष्ठा देना तृणमूल का ट्रेंड रहा है. तृणमूल का चोला ओढ़कर जमीन दखल करना, रंगदारी वसूलना सहित अन्य गैरकानूनी काम करने वाले नेताओं को प्रमोशन मिलता रहा है. जबकि नागरिकों के साथ खड़ा होकर पार्टी के हित में कार्य करने वाले समर्थकों को उचित सम्मान तक नहीं मिलता है. प्रत्येक चुनाव में टिकट को लेकर मारामारी व जिला कमिटी गठित करते समय पद को लेकर विवाद इन खामियों का प्रमाण है. उत्तर बंगाल में तृणमूल को खड़ा करने वाले मुकुल राय हैं. उत्तर बंगाल के सभी जिलों के बूथ लेवल में उनकी अच्छी पकड़ है. तृणमूल से निष्कासित किये जाने के बाद से मुकुल राय बूथ लेवल कर्मियों से लगातार संपर्क कर रहे हैं. यदि मुकुल राय नयी पार्टी का गठन करते हैं तो उनके एक इशारे पर माटिगाड़ा, नक्सलबाड़ी, खोरीबाड़ी, चटहाट, बागडोगरा आदि ग्राम पंचायत इलाकों के बूथ लेवल तृणमूल कार्यकर्ता उनकी पार्टी में शामिल हो जायेगें. यदि वह भाजपा में जाते हैं तो सभी उसी दिशा में कदम रखेंगे.
वैसे भी फूलबाड़ी, जातियाकाली, जमींदारपाड़ा आदि इलाकों में तृणमूल का जनाधार कम हुआ है. अधिकांश लोगों ने भाजपा का दामन थाम लिया है. उत्तर बंगाल के पंचायत चुनाव में मुकुल राय के बल पर ही तृणमूल को जीत मिलती रही है. आने वाले पंचायत चुनाव में तृणमूल को उनकी ताकत का अंदाजा लग जायेगा. पंचायत चुनाव से ही तृणमूल को विधानसभा और लोकसभा चुनाव की स्थिति का आभास हो जायेगा. पूजा से पहले मुकुल राय उत्तर बंगाल दैरे पर आये थे. सिलीगुड़ी सहित उत्तर बंगाल के कई आला नेता व कर्मियों से उन्होंने विशेष मुलाकात की थी. वे सभी नेता व कर्मी वर्तमान में उनसे लगातार संपर्क में हैं. सूत्रों के अनुसार तृणमूल छोड़कर मुकुल राय के लगातार संपर्क में रहने वाले संभावित नेताओं की एक तालिका तैयार की गयी है. उन नेताओं व कर्मियों की गतिविधि पर निगरानी भी रखी जा रही है.