केंद्रीय गुप्तचर विभाग की सूचना से हड़कंप
सिलीगुड़ी : म्यांमार में चल रहे नरसंहार और सुरक्षा बलों की कार्रवाई के चलते लगभग 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिमों ने भारत में शरण ले रखी है. केन्द्र सरकार ने इस समुदाय को देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए उन्हें वापस भेजने का फैसला लिया है. इस बीच, केन्द्रीय गुप्तचर विभाग की एक सूचना के अनुसार, रोहिंग्या शरणार्थियों का एक दल उत्तर बंगाल की सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रवेश कर गया है. ये सभी पुरुष हैं और संभवत: उत्तर बंगाल के किसी सुरक्षित इलाके में पनाह लेने के मंसूबे बांध रहे हैं.
हाल ही में केन्द्रीय गुप्तचर विभाग की एक टीम मयनागुड़ी ब्लॉक अंतर्गत तीस्ता नदी के दुर्गम तटीय क्षेत्र का जायजा लिया है. उसे तात्कालिक रूप से किसी रोहिंग्या समुदाय की घुसपैठ का कोई सुराग तो नहीं मिला है, लेकिन अभी भी पड़ताल जारी है. सूत्र के अनुसार, बांग्लादेश में लगभग तीन लाख रोहिंग्या शरणार्थियों ने पनाह ली है.
वहां इन शरणार्थियों को संयुक्त राष्ट्र संघ और कई अन्य देशों की मदद से राहत शिविर चलाये जा रहे हैं. बांग्लादेश एक घनी आबादी वाला देश है, जहां रोजगार पाने की संभावना बहुत कम है. संभवत: इसीलिए ये रोहिंग्या मुस्लिम भारत में आ चुके हैं. हालांकि केन्द्र सरकार के इन्हें वापस म्यांमार भेजने के फैसले से यह समुदाय डरा-सहमा हुआ भी है. इसीलिए इन्होंने छिप-छिपाकर उत्तर बंगाल में पनाह लेने की सोची है.
फिलहाल पुख्ता सबूत की तलाश, लगभग 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिमों में भारत में ले रखी है शरण
भारत-बांग्लादेश सीमा पर कई जगह कांटेदार बाड़ नहीं
सूत्र के अनुसार, भारत-बांग्लादेश सीमा पर कई जगह कांटेदार बाड़ के अभाव में ये लोग प्रवेश कर गये हैं. गुप्तचर विभाग का अनुमान है कि मयनागुड़ी ब्लॉक अंतर्गत पदमति दो नंबर ग्राम पंचायत इलाके में तीस्ता नदी के मध्यवर्ती इलाके में इन लोगों ने अपना अड्डा जमाया है. उल्लेखनीय है कि भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती मेखलीगंज ब्लॉक के चेंगराबांधा बाजार के ठीक पीछे पानीसाला से बीएसएफ के कैम्प तक तीन किलोमीटर इलाके में धरला नदी बहती है. इस इलाके में कोई कांटेदार बाड़ नहीं है.
कुचलीबाड़ी इलाके से प्रवेश की आशंका
मेखलीगंज ब्लॉक में ही कुचलीबाड़ी इलाका है, जहां से तीस्ता बहती है. इन दोनों इलाकों के बीच से मवेशी तस्करी का कारोबार चलते रहता है. गुप्तचर विभाग को आशंका है कि रोहिंग्या समुदाय के लोग इसी इलाके से होकर भारत में प्रवेश कर सकते हैं.
यहां से स्थानीय ग्रामीणों की मदद से कुछ दूर तक नाव या डोंगी से सफर करने के बाद पैदल चलकर ये लोग मयनागुड़ी ब्लॉक अंतर्गत बगुड़ारचर और पानियारचर इलाकों के बीचो-बीच पहुंचे हैं. सूत्र के अनुसार, सुरक्षा बल की पैनी नजर से बचने के लिए ये लोग खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं. कारण है कि इन लोगों का डिल-डौल और बोली स्थानीय लोगों से भिन्न है. इसलिए ये जल्द पहचाने जा सकते हैं. अनुमान किया जाता है कि ये लोग फिलहाल छिप-छिपाकर रह रहे हैं.
बगुड़ारचर और पानियारचर है इलाका संवेदनशील
गौरतलब है कि मयनागुड़ी ब्लॉक के बगुड़ारचर और पानियारचर इलाकों का भौगोलिक अवस्थान जटिल और संवेदनशील है. यह इलाका तीस्ता नदी के बीचो-बीच अवस्थित है. दूसरी ओर है जलपाईगुड़ी का सदर ब्लॉक.
वहीं दूसरी ओर है कूचबिहार जिले का मेखलीगंज ब्लॉक. यहां से उक्त इलाकों तक पहुंचने के लिए सबसे पहले एक किलोमीटर पैदल सफर तय करना होता है. वहां से नदी के किनारे होते हुए और 300 मीटर पैदल चलना होता है. वहां से करीब तीन किलोमीटर नदी होकर पार करना पड़ता है. उसके बाद नदी के किनारे से होते हुए चार-पांच किलोमीटर पैदल चलना होता है. तब जाकर कही बगुड़ारचर और पानियारचर पहुंचना संभव होता है. इस भौगोलिक जटिलता के चलते प्रशासनिक निर्देश के बावजूद वहां तक पहुंचना आसान नहीं है.
इसी परिस्थिति का फायदा रोहिंग्या समुदाय के लोगों ने उठाया है. फिलहाल इनके साथ इनके बच्चे और महिलाएं नहीं हैं. लेकिन सुरक्षित ठिकाना ढूंढ़ लेने के बाद ये अपने परिवार भी ला सकते हैं. मंगलवार और शनिवार को मयनागुड़ी के हेलापाकड़ी में हाट लगती है. इलाके के लोग इन्हीं दिनों अपनी जरूरत की चीजें खरीदने के लिए इन हाटों में आते हैं. खुफिया विभाग के अधिकारी इन हाटों पर निगहबानी कर रहे हैं.
उधर, जिला पुलिस ने इस तरह की किसी खबर से इनकार किया है. एसपी अमिताभ माइती ने बताया कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है. ऐसी किसी भी स्थिति में कार्रवाई की जायेगी.
