इस पत्र के माध्यम से विमल गुरुंग गुट ने 12 सितंबर को सिलीगुड़ी में होने वाली सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने की इच्छा जतायी है. जिस वक्त मोर्चा का यह प्रतिनिधिमंडल कालीघाट पहुंचा, उस वक्त मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घर पर ही मौजूद थीं, पर उन्होंने उनसे मुलाकात नहीं की. काफी देर इंतजार करने के बाद अमर सिंह राई और अन्य ने मुख्यमंत्री के निजी सहायक के साथ बातचीत की आैर उनके हाथ में ही विमल गुरुंग का पत्र सौंप कर वहां से चले गये. गौरतलब है कि गिरफ्तारी से बचने के लिए विमल गुरुंग इन दिनों दार्जिलिंग छोड़ कर किसी गुप्त स्थान पर डेरा जमाये हुए हैं. दार्जिलिंग जिला अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है. कुछ जानकारों का कहना है कि विमल गुरुंग पुलिस की गिरफ्त में आने से बचने के लिए इन दिनों पड़ाेसी राज्य सिक्किम में मौजूद हैं.
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कालीघाट पहुंचे गुरुंग के प्रतिनिधि, नहीं मिलीं ममता
कोलकाता. लगता है कि राज्य सरकार और गाेरखा जनमुक्ति माेर्चा के एक खेमे के दबाव के सामने मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग झुकने लगे हैं. तभी तो शांति का संदेश लेकर उनके प्रतिनिधि रविवार को मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंच गये. लेकिन मुख्यमंत्री ने उनसे मुलकात नहीं की आैर उन्हें सीएम के सहायक से ही मिल […]
कोलकाता. लगता है कि राज्य सरकार और गाेरखा जनमुक्ति माेर्चा के एक खेमे के दबाव के सामने मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग झुकने लगे हैं. तभी तो शांति का संदेश लेकर उनके प्रतिनिधि रविवार को मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंच गये. लेकिन मुख्यमंत्री ने उनसे मुलकात नहीं की आैर उन्हें सीएम के सहायक से ही मिल कर वापस लौट जाना पड़ा.
रविवार सुबह मोर्चा प्रमुख के करीबी दार्जिलिंग के विधायक अमर सिंह राई एवं कर्सियांग के विधायक रोहित शर्मा के नेतृत्व में मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंचा. उनका कहना था कि वह मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग के निर्देश पर यहां आये हैं आैर मुख्यमंत्री से मिल कर उन्हें एक पत्र देना चाहते हैं.
केवल विमल गुरुंग ही नहीं, उनकी पत्नी आशा गुरुंग, रोशन गिरि, प्रकाश गुरुंग, अशोक छेत्री, डीके प्रधान, तिलक रोका व अमृत के विरुद्ध भी वारंट जारी हुआ है. कुछ दिन पहले राज्य पुलिस ने सिक्किम में एक स्थान पर छापा भी मारा था, उस वक्त वह पुलिस की गिरफ्त में आने से बाल-बाल बच गये थे. इस घटना को केंद्र कर सिक्किम एवं राज्य पुलिस के बीच तनातनी भी शुरू हो गयी है.
दूसरी तरफ मोर्चा से बहिष्कृत विनय तमांग एवं अनित थापा ने अपनी रणनीतियों से विमल गुरुंग की नींद उड़ा दी है. मार्चा के इन बागी नेताआें को भी लोगों का अच्छा समर्थन मिल रहा है. इन परिस्थितियों को देखते हुए विमल गुरुंग एवं उनके गुट ने अपने रवैये में बदलाव लाना शुरू किया है.
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