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गोरखालैंड आंदोलन से वन विभाग को करोड़ों की क्षति

सिलीगुड़ी. मोरचा के अनिश्चितकालीन बंद को लेकर पहाड़ व डुआर्स के जंगलों में लकड़ी तस्कर सक्रिय हो गये हैं. बंद को लेकर पहाड़ में वाहनों की आवाजाही ठप है. इस वजह से रूटीन गश्त भी बंद हो गयी है. वनकर्मी डर से वन क्षेत्र में निकल नहीं पा रहे हैं. जंगलों में सुरक्षा व्यवस्था चरमरा […]

सिलीगुड़ी. मोरचा के अनिश्चितकालीन बंद को लेकर पहाड़ व डुआर्स के जंगलों में लकड़ी तस्कर सक्रिय हो गये हैं. बंद को लेकर पहाड़ में वाहनों की आवाजाही ठप है. इस वजह से रूटीन गश्त भी बंद हो गयी है. वनकर्मी डर से वन क्षेत्र में निकल नहीं पा रहे हैं. जंगलों में सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गयी है. इसका फायदा उठा कर पहाड़ के जंगलों में तस्करों की गतिविधियां बढ़ गयी हैं.

आरोप है कि रात के अंधेरे में तस्कर पेड़ काट कर ले जा रहे हैं. कई वनकर्मियों का कहना है कि लकड़ियों के साथ-साथ विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों एवं वन्यजीवों की तस्करी की जा रही है. बारिश के मौसम में जहां राज्य भर में वन महोत्सव मनाया जा रहा है, हजारों पौधे लगाये जा रहे हैं, वहीं बंद प्रभावित इलाकों में ऐसा नहीं हो पा रहा है. इस वजह से रोपण के लिए तैयार किये गये पौधे नष्ट हो रहे हैं. कुल मिलाकर राज्य वन विभाग को करोड़ों का नुकसान हो रहा है.

दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में कर्सियांग, कालिम्पोंग, वाइल्ड लाइफ एक वन विभाग के तीन डिवीजन हैं, लेकिन गोरखालैंड आंदोलन को लेकर इन तीन डिवीजनों में काम ठप है. सरकारी निर्देशिका के मुताबिक वनकर्मी कार्यालयों में पहुंच रहे हैं, लेकिन इन्हें ड्यूटी करने से रोका जा रहा है. वन विभाग के मुताबिक तस्करों के दल जंगल में घुसकर पेड़ काट रहे हैं. रातोंरात इन लकड़ियों की बिहार, नेपाल समेत कई इलाकों में तस्करी की जा रही है. कई बार सिलीगुड़ी से लगे इलाके में वन विभाग के कर्मियों ने लकड़ियां जब्त की हैं. इसके बाद से सिलीगुड़ी के आसपास के इलाके में वन विभाग ने सुरक्षा बढ़ा दी है. वनमंत्री विनय कृष्ण बर्मन ने बताया कि पहाड़ में बंद के कारण विभाग को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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