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गंभीर आरोप: नमःशुद्र विकास परिषद ने लगाया आरोप, आतंकवादी संगठनों के साथ मोरचा के संबंध

सिलीगुड़ी: गैर राजनैतिक व सामाजिक संगठन ऑल इंडिया नमःशुद्र विकास परिषद का दावा है कि पहाड़ पर गोरखालैंड आंदोलन को और हवा देने के लिए गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) आतंकवादी व अलगाववादी संगठनों के साथ सांठगांठ बढ़ा रहा है. पहाड़ पर जारी गोरखालैंड आंदोलन को लेकर मोरचा के शीर्ष नेताओं ने हाल ही में कामतापुर […]

सिलीगुड़ी: गैर राजनैतिक व सामाजिक संगठन ऑल इंडिया नमःशुद्र विकास परिषद का दावा है कि पहाड़ पर गोरखालैंड आंदोलन को और हवा देने के लिए गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) आतंकवादी व अलगाववादी संगठनों के साथ सांठगांठ बढ़ा रहा है. पहाड़ पर जारी गोरखालैंड आंदोलन को लेकर मोरचा के शीर्ष नेताओं ने हाल ही में कामतापुर लिब्रेशन ऑर्गनाइजेशन (केएलओ) और पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा नेपाल के कई प्रतिबंधित आंतकी संगठनों के साथ गुप्त बैठक भी की है.

इनलोगों ने दावा किया कि केंद्र और राज्य सरकार के खुफिया एजेंसियों ने ऐसी रिपोर्ट दी है. मोरचा के आतंकी संगठनों के तालमेल का यह दावा सोमवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित प्रेस-वार्ता के दौरान संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष मुकुल चंद्र वैराग्य ने किया है. उन्होंने संगठन की ओर से केंद्र व राज्य सरकार से मोरचा पर भी प्रतिबंध लगाने और मोरचा का आतंकी संगठनों के साथ गुप्त बैठक की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है. श्री वैराग्य ने पहाड़ पर जीटीए में करोड़ों रुपये के घोटाले की बात भी की. पहाड़ पर विकास के लिए विभिन्न परियोजनाओं के मद में केंद्र और राज्य सरकार से जीटीए को सैकड़ो करोड़ रुपये बीते छह वर्षों में मिले, जिसका कोई हिसाब-किताब जीटीए के पास नहीं है. उन्होंने जीटीए घोटाले की भी सीबीआई जांच की मांग करते हुए पायी-पायी का हिसाब आम जनता को देने की आवाज उठायी है.

श्री वैराग्य ने ममता सरकार में पहाड़ के विभिन्न जनजातियों के भाषा-संस्कृति के विकास के लिए गठित कुल 15 जनजाति विकास बोर्डों पर भी सवाल उठाया है. उनका कहना है ममता सरकार में पहाड़ पर गुरुंग, लेप्चा, तामांग, भूटिया, भूजेल (खवास), नेवार, शेरपा, मंगर, लिंबू, दमाई, कामी, खंभू, शारकी, अल्पसंख्यक जैसे जनजातियों का विकास बोर्ड गठित हुआ और सबों को करोड़ों रुपये सरकार ने दिये. आज ये सभी विकास बोर्ड कहां है और क्या कर रहे हैं कोई नहीं जानता. इन विकास बोर्डों पर तल्ख तेवर दिखाते हुए श्री वैराग्य का कहना है कि पहाड़ के मुद्दे पर आज ये सभी बोर्ड अगर राज्य सरकार के साथ खड़े नहीं होते हैं तो सभी बोर्डों को करोड़ों रुपये देने का क्या फायदा है. उन्होंने गोरखालैंड के मुद्दे पर केंद्रीय सरकार के अलावा पश्चिम बंगाल के सभी राजैनिक दलों खासकर राज्य भाजपा से अपना पक्ष साफ करने को कहा है.
माफी मांगें चामलिंग
श्री वैराग्य ने गोरखालैंड को लेकर मोरचा के आंदोलन को सिक्किम सरकार द्वारा समर्थन किये जाने पर भी हमला किया और पश्चिम बंगाल की जनता को अपमान करने के लिए सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग बिना शर्त सार्वजनिक रुप से माफी मांगे. उन्होंने दार्जीलिंग पार्वतीय क्षेत्र को भौगोलिक दृष्टिकोण से भारत का काफी संवेदनशील बताया. उनका कहना है कि दार्जीलिंग इलाका चीन, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से सटा इलाका है. इस वजह से इसकी कड़ी सुरक्षा सरकार, प्रशासन और आम जनता का भी अहम दायित्व बनता है.
गोरखालैंड के विरोध में 30 को रैली
उन्होंने संगठन द्वारा 30 जून को सिलीगुड़ी में निकाले जानेवाले गोरखालैंड विरोधी रैली में भारी तादाद में शिरकत करने की अपील भी आमलोगों से की. प्रेस-वार्ता के दौरान संगठन के अन्य सदस्यों ने भी संबोधित किया.

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