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गोरखालैंड : सिलीगुड़ी में हुई सर्वदलीय बैठक फेल

भाजपा और माकपा सहित तमाम बड़ी पार्टियों ने बनायी दूरी, कांग्रेस के नेता भी रहे नदारद सिलीगुड़ी : गोरखालैंड आंदोलन पर राज्य सरकार द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक पूरी तरह से फेल साबित हुआ है.घोषणा के अनुसार ही वाम मोरचा,भाजपा,कांग्रेस आदि पार्टियों ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया. इसमें राज्य सरकार के अधिकारी ही शामिल […]

भाजपा और माकपा सहित तमाम बड़ी पार्टियों ने बनायी दूरी, कांग्रेस के नेता भी रहे नदारद
सिलीगुड़ी : गोरखालैंड आंदोलन पर राज्य सरकार द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक पूरी तरह से फेल साबित हुआ है.घोषणा के अनुसार ही वाम मोरचा,भाजपा,कांग्रेस आदि पार्टियों ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया.
इसमें राज्य सरकार के अधिकारी ही शामिल हुए. मंत्री गौतम देव,पार्थ चटर्जी और अरूप विश्वास भी इस बैठक में शामिल थे. एक तरह से कहें तो इन्हीं लोगों ने तृणमूल कांग्रेस का भी प्रतिनिधित्व कर लिया. दूसरी राजनीतिक पार्टियों ने बैठक से दूरी बना ली. पहाड़ पर विभिन्न जातियों के लिए बने विकास बोर्ड के सिर्फ दो प्रतिनिधि ही इसमें शामिल हुए. बैठक स्थल पर कैमरे की नजर से बचने के लिये पहाड़ के तृणमूल नेता व विभिन्न विकास बोर्ड के प्रतिनिधि दुबके रहे.
पहाड़ पर जारी गोरखालैंड आंदोलन पर विचार विमर्श के लिये राज्य सरकार की ओर से गृह सचिव मलय दे ने यह सर्वदलीय बैठक बुलायी थी. निर्धारित समय के अनुसार गुरुवार दोपहर एक बजे सिलीगुड़ी गेस्ट हाउस में यह बैठक शुरू हुयी.
इसमें राज्य के शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी, खेल व युवा कल्याण मंत्री अरुप विश्वास, राज्य के पर्यटनमंत्री गौतम देव, उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय व जलपाईगुड़ी के डिवीजनल कमिश्नर सह गोरखा क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए)के मुख्य सचिव बरूण राय, एडीजी नटराजन रमेशबाबू, सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नर सी.एस. लेप्चा एसडीओ हरिशंकर पणिक्कर व अन्य प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे. इसके अतिरिक्त पहाड़ से अलप्संख्यक विकास बोर्ड (माइनॉरिटी फोरम) व कामी विकास बोर्ड के प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए. राजनीतिक पार्टियों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा)के प्रतिनिधि शंकर दास, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (रांकपा)के पी.टी.आर कृष्णन आज की सर्वदलीय बैटक में उपस्थित थे.
जिला तृणमूल के वरिष्ठ नेता नांटू पाल व रंजन सरकार उर्फ राणा सहित कई नेता स्टेट गेस्ट हाउस पहुंचे लेकिन सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हुए. एक तरह से देखा जाए तो शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी तृणमूल के महासचिव हैं, मंत्री अरूप विश्वास दार्जीलिंग जिला तृणमूल के पर्यवेक्षक व पर्यटन मंत्री गौतम देव जिला तृणमूल के अध्यक्ष हैं. ऐसा माना जा रहा है कि शायद इन्हीं लोगों ने तृणमूल का प्रतिनिधित्व कर लिया हो. हांलाकि आज की बैठक में ये तीनो राज्य सरकार के मंत्री के रुप में उपस्थित थे.
पहाड़ बंद असंवैधानिक: मलय दे : बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए गृह सचिव मलय दे ने बैठक को सफल बताया. उन्होंने पहाड़ पर जारी बंद को असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा कि पहाड़ पर अशांति से आर्थिक, शैक्षणिक व व्यवसाय को नुकसान हो रहा है. पहाड़ की आम जनता परेशान हो रही है. आंदोलन से इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता.
विचार-विमर्श के माध्यम से मामला सुलझ सकता है. राज्य सरकार चरचा के लिये प्रस्तुत है और पहाड़ की शांति बरकरार रखने के लिये बिना किसी शर्त के आज सर्वदलीय बैठक भी की गयी. हमें विश्वास है कि पहाड़, समतल व तराई-डुआर्स की सभी राजनीतिक पार्टियां पहाड़ की शांति चाहती है. उन्होंने कहा कि बातचीत के लिये राज्य सरकार का दरवाजा हमेशा खुला है. उन्होंने पहाड़ पर शांति की भी अपील की.
पहाड़ पर स्थित सरकारी दफ्तरों व इमारतों में तैनात किये जायेंगे सिविल डिफेंस वॉलंटियर
राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मोरचा के हिंसक आंदोलन के कारण 150 करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ है. राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में उन सभी सरकारी इमारतों, दफ्तरों व वाहनों की तालिका पेश की है, जिन्हें मोरचा समर्थकों ने आग के हवाले कर दिया था.
पहाड़ पर सरकारी संपत्तियों की रक्षा के लिए राज्य सरकार ने अब वहां की सभी सरकारी इमारतों व दफ्तरों में सिविल डिफेंस वॉलंटियर तैनात करने का फैसला किया है. इस फैसले के अनुसार पहाड़ पर स्थित सभी सरकारी इमारतों व दफ्तरों में 3-4 सिविल डिफेंस वॉलंटियर को तैनात किया जायेगा. कोई अगर सरकारी इमारतों व दफ्तरों को नुकसान पहुंचाने आयेगा तो ये वॉलंटियर फौरन पुलिस प्रशासन को इसकी खबर देंगे, जिससे पुलिस को सरकारी इमारतों व दफ्तरों को बचाने के लिए पहुंचने का समय मिल सके.
6 साल में 64 बार पहाड़ गयीं सीएम: पार्थ
राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि राज्य सरकार पिछले छह वर्षों से शांति व विकास के पथ पर आगे बढ़ रही है. सुश्री बनर्जी बंगाल की पहली मुख्यमंत्री हैं जो पिछले छह वर्षों में 64 बार पहाड़ का दौरा कर चुकी हैं. हम सबको मिलकर पहाड़ को शांत करना होगा. इसके लिये सभी राजनीतिक पार्टियों का साथ आवश्यक है. पहाड़ के ही कुछ लोग पहाड़ की आम जनता को परेशान कर रहे हैं. इस आंदोलन से पहाड़ के लोग परेशान हैं. पहाड़ के कुछ इलाकों में खाद्य संकट उत्पन्न हो गया है. सिर्फ बातचीत से ही समस्या का समाधान निकल सकता है.राज्य सरकार शांति प्रक्रिया पर कार्य कर रही है.
पहाड़ के तृणमूल कांग्रेस नेताओं में भय
इस बीच,आज की सर्वदलीय बैठक तो समाप्त हो गयी,लेकिन इसका कोई परिणाम दिखाई नहीं दिया. पल भर की दूरी पर होने के बाद भी पहाड़ के विभिन्न विकास बोर्ड के चेयरमैन व हिल तृणमूल के प्रतिनिधि बैठक में शामिल नहीं हुए. सूत्रों की माने तो हिल्स तृणमूल के नेता व जाति विकास बोर्ड के प्रतिनिधि पहाड़ चढ़ने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे हैं.
पिछले एक सप्ताह से वे सभी सिलीगुड़ी गेस्ट हाउस में डेरा जमाये हुए हैं. इन सभी को हिलकर्ट रोड स्थित एक होटन में सुरक्षित रखा गया है. मंत्री पार्थ चटर्जी के अनुसार सर्वदलीय बैठक बिना किसी शर्त रखी गयी थी. भाजपा, माकपा व कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया.
पहाड़ पर और सशस्त्र बल भेजने से स्थिति बिगड़ने की आशंका
केंद्र ने राज्य का आवेदन ठुकराया, खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट को बताया आधार
पहाड़ पर चल रहे गाेरखा जनमुक्ति मोरचा के आंदाेलन ने वहां स्थिति विस्फोटक बना दी है. स्थिति को नियंत्रण करने एवं शांति बनाये रखने के लिए राज्य के आवेदन पर पहले से ही पहाड़ पर केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल की कई कंपनियां तैनात हैं. इस बीच राज्य ने केंद्रीय फोर्स की चार आैर कंपनी भेजने की मांग की थी, पर केंद्र ने राज्य सरकार के इस आवेदन को ठुकरा दिया है. राज्य के आवेदन को खारिज करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट को हथियार बनाया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालाय का कहना है कि केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आैर अधिक अर्द्धसैनिक बल भेजने से पहाड़ की स्थिति आैर भी खराब हो सकती है.
इस स्थिति में फिलहाल आैर सेंट्रल फोर्स भेजना संभव नहीं है. केंद्र के इस रवैये ने राज्य को परेशानी में डाल दिया है. मोरचा के हिंसक आंदोलन ने पहले ही स्थिति को विस्फोटक बना दिया है. अब केंद्र द्वारा फोर्स भेजने से इंकार करने पर राज्य सरकार की परेशानी आैर बढ़ गयी है.

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