कोलकाता. जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) बंगाल के महान लेखक विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय की कृतियों को डिजिटाइज्ड करेगी. लेखक को पढ़ने वाले लोग पाथेर पांचाली से चंद्र पहाड़ (चंद्रमाओं का पर्वत), आदर्श हिंदू होटल और अपू गांव तक बस एक क्लिक से पहुंच सकते हैं, क्योंकि इस लेखक के कई पत्रों और पांडुलिपियों को जादवपुर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कल्चरल टेक्सट एंड रिकार्डस’ द्वारा संचालित एक डिजिटल संग्रह में संरक्षित किया जायेगा. जेयू के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि विभूतिभूषण के पौत्र त्रिनंकुर बंद्योपाध्याय और विभाग के बीच इसे लेकर बातचीत हो गयी है. बंगाली साहित्यकार और शोधकर्ता डिजिटल संग्रह से प्राप्त जानकारी का आसानी से उपयोग कर सकते हैं. इस संबंध में विभागीय अधिकारियों और लेखक के परिवार के साथ प्रारंभिक चर्चा हो चुकी है और यह प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी. विभूतिभूषण के पौत्र त्रिनंकुर बंद्योपाध्याय का कहना है कि सत्यजीत रे द्वारा लिखित और फिल्म निर्माण के लिए ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाले कालजयी उपन्यास पाथेर पांचाली की मूल पांडुलिपि बहुत पहले राष्ट्रीय पुस्तकालय को दे दी गयी थी. कुछ है कि जरूरतमंदों को यह आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रही है. पाथेर पांचाली की पांडुलिपि प्राप्त करने के लिए एक जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. आम लोगों को इससे कोई लाभ नहीं मिल रहा है. सार्वजनिक डोमेन में होने के बावजूद, अगर लोगों का एक बड़ा वर्ग इसे आसानी से प्राप्त नहीं कर सकता, तो पांडुलिपि का कोई मूल्य नहीं है. हम चाहते हैं कि विभूतिभूषण के सभी दस्तावेज और लेखन संरक्षित रहें और लोग उनका अध्ययन कर सकें. परिवार की सहमति से यह प्रयास किया जा रहा है. लेखक विभूतिभूषण के जीवन व विचारों से प्रेरित एक प्रदर्शनी भी लगाया जायेगी.
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