कोलकाता.
नेपाल में व्याप्त अशांति की लहरें लगभग 800 किलोमीटर दक्षिण में स्थित एशिया के सबसे बड़े रेड-लाइट जिले कोलकाता के सोनागाछी तक पहुंच गयी हैं, जहां नेपाली मूल की यौनकर्मी अपने देश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण अपने परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रही हैं. नेपाल में अशांति व हिंसा के घटनाक्रम का कोलकाता में विशेषकर सोनागाछी में अच्छा खासा प्रभाव पड़ा है, जहां नेपाली महिलाओं का एक वर्ग अब भी देह व्यापार में संलग्न है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनकी संख्या में कमी आयी है. कालीघाट से लेकर हावड़ा और हुगली के छोटे वेश्यालयों तक, कभी यौनकर्मियों में नेपाली लोगों की बड़ी संख्या थी और सोनागाछी में अब भी उनमें से कई मौजूद हैं. इस परिस्थिति में अब वे खुद को अनिश्चितता में फंसा हुआ पाती हैं, जो अपने परिवारों से संपर्क करने या घर पैसे भेजने में असमर्थ हैं. नेपाल के हवाई अड्डे बंद हैं, अंतरराष्ट्रीय सीमाएं सील हैं और संचार नेटवर्क पूरी तरह से ठप हो गया है. एक दशक से सोनागाछी में रह रही पूर्वी नेपाल की एक यौन कर्मी ने कहा : तीन दिन हो गये, मैंने अपनी मां से बात नहीं की है. जब भी मैं फोन करने की कोशिश करती हूं, तो नेटवर्क डाउन बताता है. मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह सुरक्षित हैं भी या नहीं.दूसरी एक महिला बात करते हुए रो पड़ी : मैं हर महीने अपने दो बेटों को पैसे भेजती हूं, जो पोखरा के पास रिश्तेदारों के साथ रहते हैं. इस महीने, मुझे नहीं पता कि मैं कुछ भेज पाऊंगी भी या नहीं. अगर उन्हें पैसे नहीं मिले, तो मेरे बच्चे खायेंगे कैसे?
तात्कालिक चिंता नेपाल में उनके परिवारों के जीवनयापन की है, भले ही कोलकाता से भेजी जाने वाली राशि बहुत कम होती है. लेकिन यह वहां ग्रामीण भागों में रह रहे उनके परिवारों के लिए जीवन रेखा का काम करती है. अचानक व्यवधान से न केवल वित्तीय तनाव पैदा हुआ है, बल्कि उनकी असहायता की भावना भी बढ़ गयी है. सोनागाछी में एक और नेपाली महिला ने कहा : अगर हम घर जाना भी चाहें, तो कोई रास्ता नहीं है. सीमा बंद है, उड़ानें रद्द हैं. हम यहां फंसे हैं और हमारे परिवार वहां फंसे हैं. हम बेबस हैं. यौनकर्मियों के हित में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी यही आशंकाएं जतायीं.क्या कहना है स्वयंसेवी संस्थाओं का : यौनकर्मियों के बच्चों को सहायता देने वाले संगठन ””आमरा पदातिक”” की महाश्वेता मुखोपाध्याय ने कहा : वे पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गये हैं. उन्होंने कहा : इन महिलाओं का परेशान होना स्वाभाविक है. वे न तो अपने परिवारों से संपर्क कर पा रही हैं और न ही यह सुनिश्चित कर पा रही हैं कि उनके द्वारा भेजी गयी रकम वहां तक पहुंचेगी या नहीं. श्रीमती मुखोपाध्याय ने कहा : हम कुछ यौनकर्मियों और हमारे एनजीओ के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और ऐसा रास्ता निकालने का प्रयास करेंगे जिससे वे अपने परिवारों से बात कर सकें और पैसे घर भेज सकें.
रेड लाइट एरिया में नेपाली मूल की लगभग 200 से अधिक यौनकर्मी हैं मौजूद : गौरतलब है कि रेड-लाइट जिले सोनागाछी में नेपाली मूल की लगभग 200 यौनकर्मी हैं. पिछले कई दशकों से कोलकाता के रेड लाइट क्षेत्रों में नेपाली महिलाओं की मौजूदगी देखी जाती रही है. अक्सर उन्हें भारत-नेपाल की खुली सीमा के रास्ते तस्करी कर लाया जाता है और बेहद कठिन परिस्थितियों में उन्हें इस व्यवसाय में धकेल दिया जाता है. हालांकि, हाल के वर्षों में उनकी संख्या में कमी आयी है. आंशिक रूप से कड़ी सीमा निगरानी और तस्करी के बदलते तरीकों के कारण. लेकिन जो बची हैं, वे सबसे असुरक्षित हैं और नेपाल में मौजूदा उथल-पुथल जैसे संकटों के कारण उनके पास कोई सुरक्षा कवच नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

