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पीआरवी के निर्माण के लिए जीआरएसइ ने नॉर्वे के कोंग्सबर्ग के साथ किया है समझौता

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने मंगलवार को कोलकाता स्थित गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसइ) और नॉर्वे के कोंग्सबर्ग के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन संबंधी हस्ताक्षर समारोह में हिस्सा लिया. यह समझौता ज्ञापन भारत के लिए स्वदेशी रूप से अपना पहला ध्रुवीय अनुसंधान पोत (पीआरवी) बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है.

कोलकाता.

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने मंगलवार को कोलकाता स्थित गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसइ) और नॉर्वे के कोंग्सबर्ग के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन संबंधी हस्ताक्षर समारोह में हिस्सा लिया. यह समझौता ज्ञापन भारत के लिए स्वदेशी रूप से अपना पहला ध्रुवीय अनुसंधान पोत (पीआरवी) बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है.

इस अवसर पर सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “यह समझौता ज्ञापन आशा और प्रगति का एक प्रतीक बने, जो वैज्ञानिक उन्नति और सतत विकास के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है. ये देश की महत्वपूर्ण जहाज निर्माण क्षमताओं का एक प्रमाण होगा, जो सरकार की ””मेक इन इंडिया”” पहल को और बढ़ावा देगा.”

उन्होंने कहा कि जीआरएसई और कोंग्सबर्ग के बीच यह समझौता ज्ञापन देश के जहाज निर्माण क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाता है, क्योंकि इसे पीआरवी विकसित करने के लिए डिजाइन विशेषज्ञता प्राप्त होगी, इसके साथ ही राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीओपीआर) की आवश्यकता को भी ध्यान में रखा जायेगा, जो इसका उपयोग ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर क्षेत्रों में अनुसंधान गतिविधियों के लिए करेगा. जीआरएसइ, युद्धपोतों, सर्वेक्षण और अनुसंधान पोतों जैसे जटिल समुद्री प्लेटफार्मों के निर्माण के अपने समृद्ध अनुभव के साथ, इस पीआरवी का निर्माण कोलकाता में अपने यार्ड में निर्माण करेगा, जिससे सरकार की ””मेक इन इंडिया”” पहल को बढ़ावा मिलेगा. कोंग्सबर्ग के साथ-साथ जीआरएसइ के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) कमोडोर पीआर हरि, आईएन (सेवानिवृत्त) ने इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री, नॉर्वे और भारत के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ हिस्सा लिया.

सर्बानंद सोनोवाल नॉर-शिपिंग कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नॉर्वे की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं और साथ ही वह डेनमार्क की भी यात्रा करेंगे, जिसका एक मुख्य उद्देश्य वैश्विक समुद्री क्षेत्र के नेतृत्व के साथ समुद्री संबंधों को और मजबूत करना है.

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भारत-नॉर्वे समुद्री सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों पर डाला प्रकाश

बैठक के दौरान सर्बानंद सोनोवाल ने भारत-नॉर्वे समुद्री सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भारतीय शिपयार्ड वर्तमान में नॉर्वेजियन शिपओनर्स एसोसिएशन के ऑर्डर बुक का 11 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं. उन्होंने भारत की शिप-ब्रेकिंग क्रेडिट नोट योजना का लाभ उठाने सहित आगे के ऑर्डर के विस्तार का आग्रह किया. एनएसए के वैश्विक बेड़े में दूसरे स्थान पर रहने वाले भारत के मजबूत समुद्री कार्यबल पर जोर देते हुए उन्होंने व्यापक भर्ती भागीदारी का आह्वान किया. उन्होंने भारत के प्रमुख सागरमाला कार्यक्रम और 2.9 बिलियन डॉलर के समुद्री विकास कोष के तहत उपलब्ध महत्वपूर्ण निवेश अवसरों को भी रेखांकित किया, जो जहाज निर्माण, बंदरगाहों और रसद में प्रोत्साहन प्रदान करते हैं. केंद्रीय मंत्री ने ओएनओपी और मैत्री जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से नवाचार के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और हरित पोत परिवहन गलियारों, जहाज पुर्नचक्ररण और आईएमओ-संरेखित नेट-शून्य लक्ष्यों में नॉर्वे के सहयोग को आमंत्रित किया, यह देखते हुए कि 87 प्रतिशत भारतीय पुर्नचक्ररण यार्ड अब एचकेसी के अनुरूप हैं.

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