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ट्रंप के टैरिफ से बंगाल के निर्यातकों को बड़ा झटका

राज्य से चमड़ा, समुद्री उत्पाद और इंजीनियरिंग सामानों के एक्सपोर्ट पर पड़ेगा असर

राज्य से चमड़ा, समुद्री उत्पाद और इंजीनियरिंग सामानों के एक्सपोर्ट पर पड़ेगा असर

कोलकाता. अमेरिका का भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क पश्चिम बंगाल की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. निर्यातकों का कहना है कि राज्य के श्रम आधारित चमड़ा, इंजीनियरिंग और समुद्री क्षेत्रों को आगामी त्योहारों से पहले काफी नुकसान होने की आशंका है. भारतीय उत्पादों पर बढ़ा हुआ शुल्क बुधवार से लागू हो गया, जिससे भारत पर अब कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है. निर्यातकों ने कहा कि अमेरिकी शुल्क से उत्पन्न भू-राजनीतिक प्रतिकूल परिस्थितियों से निर्यात और यहां तक कि उत्पादन भी ‘फिलहाल रोक दिया गया है.’ व्यापार अनुमानों के अनुसार, इस कदम से कम से कम 45,000 करोड़ रुपये के भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा और बंगाल सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक है.

8000 करोड़ रुपये के समुद्री खाद्य सामान के निर्यात पर भी पड़ेगा असर: भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फियो) के क्षेत्रीय चेयरमैन (पूर्व) और समुद्री सामान के प्रमुख निर्यातक योगेश गुप्ता ने कहा: श्रम-प्रधान उद्योग भारी दबाव में हैं. समुद्री निर्यात की बात करें तो बंगाल के वार्षिक निर्यात के अधिकतम हिस्से पर इसका असर पड़ सकता है. भारत के समुद्री खाद्य सामान के निर्यात में राज्य का योगदान 12 प्रतिशत है, जिसमें उत्तर और दक्षिण 24-परगना तथा पूर्व मेदिनीपुर जिले से झींगा किस्मों का प्रभुत्व है. भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ (पूर्व) के चेयरमैन राजर्षि बनर्जी ने कहा: पश्चिम बंगाल से अमेरिका को होने वाले वर्तमान 8,000 करोड़ रुपये के कुल निर्यात में से, राज्य से कम से कम 5,000-6,000 करोड़ रुपये के समुद्री निर्यात पर सीधा असर पड़ रहा है.’

राज्य में 10 हजार से अधिक नौकरियां खतरे में : गुप्ता ने आगाह किया कि प्रसंस्करण इकाइयों में 10 हजार से ज्यादा नौकरियां खतरे में हैं. कृषि क्षेत्र में इससे भी अधिक नौकरियों पर खतरा हैं. आंध्र प्रदेश जैसे राज्य अमेरिका से इतर अन्य बाजारों में बंगाल के साथ प्रतिस्पर्धा करना शुरू कर देंगे. आंध्र प्रदेश स्थित निर्यातक वर्तमान में अमेरिका पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं. चमड़ा उद्योग भी बढ़े हुए शुल्क का खामियाजा भुगत रहा है और अमेरिका इसके सबसे बड़े खरीदारों में से एक है.

भारतीय चमड़ा उत्पाद संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहम्मद अजार ने कहा: कोलकाता के पास बानतला चमड़ा केंद्र में ही पांच लाख लोग कार्यरत हैं. केवल भारत और ब्राजील पर ही 50 प्रतिशत शुल्क लगा है जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में यह दर बहुत कम 19-20 प्रतिशत है. इससे अमेरिका को भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा.

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत के जवाबी शुल्क की घोषणा की थी, जो सात अगस्त से लागू हो गया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने सात अगस्त को ही रूसी कच्चे तेल की भारत द्वारा की जाने वाली खरीद के लिए भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को दोगुना करके 50 प्रतिशत करने की घोषणा की थी लेकिन समझौते पर बातचीत के लिए 21 दिन का समय दिया था.

भारत के पास चुनौती को बड़े अवसर में बदलने का मौका

कोलकाता. वित्तीय सेवा संगठन, पीएल कैपिटल ने अपनी नवीनतम भारत रणनीति रिपोर्ट पेश की है, जिसका शीर्षक ‘विकास के अगले चरण के लिए तैयार’ है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि घरेलू मांग में मजबूत वृद्धि के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं और इसके त्योहारी सीजन के बाद भी बनी रहने की संभावना है. भारत में घरेलू मांग में जोरदार सुधार होने की उम्मीद है, जिससे निफ्टी अगले 12 महीनों में 27,609 का आंकड़ा पार कर सकती है. इसके साथ ही कहा गया है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के तहत, जीएसटी सुधारों, रक्षा पहलों, कृषि को समर्थन, युवा रोजगार और ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए, वर्तमान अमेरिकी टैरिफ चुनौती को एक बड़े अवसर में बदला जा सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी जीएसटी 2.0 सुधार, जो कर स्लैब को कम और युक्तिसंगत बनायेंगे, इसससे ऑटोमोबाइल, दवाएं और रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती होने की संभावना है, जिससे उपभोग को और बढ़ावा मिलेगा.

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