कहा : हाइकोर्ट के निर्देश के बाद भाजपा की ‘बंगाल और महिला विरोधी’ सोच हुई उजागर
कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने भाजपा शासित केंद्र सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें बीरभूम की दो महिलाओं और उनके परिवार के सदस्यों को ‘अवैध प्रवासी’ करार देकर बांग्लादेश भेज दिया गया था. अदालत ने आदेश दिया कि सोनाली बीबी, स्वीटी बीबी और उनके तीन बच्चों सहित परिवार के चार अन्य निर्वासित सदस्यों को एक महीने के भीतर भारत वापस लाया जाये. इस आदेश के बाद तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा व केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला. पार्टी का आरोप है कि केवल बांग्ला भाषा बोलने के कारण एक गर्भवती महिला और उनके परिवार को विदेशी बताकर बांग्लादेश भेजा गया, जिससे भाजपा की ‘बंगाल विरोधी और महिला विरोधी’ सोच उजागर हुई है. सांसद और तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला ‘बंगाल विरोधी जमींदारों’ के व्यवस्थित उत्पीड़न को उजागर करता है. उन्होंने चेतावनी दी कि बंगालियों के खिलाफ यह क्रूर अभियान न अदालतों में टिक पायेगा, न जनमत में और न ही चुनाव में. 2026 विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “भय और उत्पीड़न की राजनीति करने वालों को जनता करारा जवाब देगी. बंगाल की अस्मिता, भाषा और सम्मान की रक्षा के लिए हमारा संकल्प अडिग है.”कुणाल बोले- अमित शाह माफी मांगें
तृणमूल प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सार्वजनिक माफी की मांग की. उन्होंने कहा, “किस अधिकार से एक गर्भवती महिला और अन्य नागरिकों को केवल बांग्ला बोलने के कारण विदेशी बताया गया और बांग्लादेश भेजा गया? यह भाजपा सरकार और उनकी एजेंसियों की शर्मनाक करतूत है. हाइकोर्ट के आदेश ने साबित कर दिया कि भाजपा की नीतियां बंगाल विरोधी, महिला विरोधी और अमानवीय हैं.”मंत्री डॉ शशि पांजा का निशाना
राज्य मंत्री और तृणमूल नेता डॉ शशि पांजा ने भी भाजपा और केंद्र सरकार पर हमला किया. उन्होंने पूछा, “छह भारतीय नागरिकों को, जिनमें एक गर्भवती महिला भी हैं, किस अधिकार से बांग्लादेश भेजा गया? यह पूरी तरह अवैध और अमानवीय है. ऐसे में बंगाल को ‘सोनार बांग्ला’ बनाने की बातें केवल दिखावा हैं.” अदालत के फैसले ने सोनाली बीबी और उनके परिवार को न्याय दिलाने के साथ भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता को भी उजागर किया है. बता दें कि सोनाली बीबी और उनके परिवार को इस साल जून में दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशी बताकर हिरासत में लिया था. बाद में उन्हें बीएसएफ को सौंपकर सीमा पार भेज दिया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

