बेलियाघाटा के एक शख्स को जिंदा जलाने का मामला कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक शख्स को आग लगा कर उसकी हत्या करने के मामले में अभियुक्त की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है. न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज और न्यायाधीश अपूर्व सिन्हा राय की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. खंडपीठ ने कहा कि अभियुक्त की उम्रकैद की सजा निचली अदालत के आदेशानुसार ही रहेगी. अभियुक्त अरिजीत ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. सुनवाई के दौरान उसके वकील ने दावा किया कि पुलिस जांच में कई खामियां थीं. उनके मुवक्किल को आजीवन कारावास की सजा से मुक्त किया जाना चाहिए. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि 98 फीसदी जले हुए शरीर के साथ मौत के कगार पर खड़े व्यक्ति के बयान पर संदेह करना सही नहीं है. उस बयान का इस्तेमाल दोषी ठहराने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा सकता है. संजय हाल्दार कोलकाता के बेलियाघाटा के ठाकुरबागान इलाके में फुटपाथ पर दुकान चलाता था. पुलिस जांच में पता चला कि संजय अपने घर के सामने आया और अरिजीत चटर्जी और कुछ युवा पड़ोसियों को शराब पीते देखा. अरिजीत उसके घर का मालिक था. संजय ने घटना का विरोध किया. वह उनके साथ झगड़ा करने लगा. उसके बाद अरिजीत की बातों में आकर मधु और फुचका नामक दो युवकों ने संजय के शरीर और सिर पर केरोसिन डाल दिया. फुचका ने आग लगा दी. संजय खुद को बचाने के लिए तालाब में कूद गया. बाद में पुलिस ने उसे बचाया और उसे नीलरतन सरकार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल में भर्ती होने के बाद संजय ने पुलिस को दो बार बयान दिया. पहली बार उसने डॉक्टर को बताया कि कुछ लोगों ने मिट्टी का तेल डालकर उसे आग लगा दी थी. बाद में संजय ने पुलिस को घटना का पूरा विवरण दिया और तीन लोगों के नाम बताये थे. पुलिस को पता चला कि मकान मालिक अरिजीत कई दिनों से संजय को घर खाली करने के लिए कह रहा था. लेकिन वह नहीं मान रहा था. इसी वजह से उसे योजनाबद्ध तरीके से जला कर मार डाला गया. सियालदह कोर्ट ने अरिजीत और हत्या के आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनायी. अरिजीत ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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