नौकरी गंवाये टीचर्स पहुंचे दिल्ली, जंतर-मंतर पर दिया धरनानयी दिल्ली/कोलकाता पश्चिम बंगाल में भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता की वजह से उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्ति रद्द किये जाने से बेरोजगार हुए राज्य के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों में से कुछ ने बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया और नौकरी में बहाली की मांग की. पश्चिम बंगाल में आंदोलन कर रहे शिक्षकों ने यहां ‘योग्य शिक्षक शिक्षिका अधिकार मंच’ के बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया. यह मंच उन शिक्षकों की बहाली की वकालत कर रहा है जिन्होंने योग्यता के आधार पर परीक्षा उत्तीर्ण की थी. प्रदर्शनकारी शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों ने कहा कि एसएससी फर्जी और वैध उम्मीदवारों के बीच अंतर करने में विफल रहा है, जिसके कारण नियुक्तियां रद्द कर दी गयीं.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार और आयोग से योग्य उम्मीदवारों को बहाल करने के लिए एक तंत्र विकसित करने का आग्रह किया है. बंगाल में 2016 में हुई परीक्षा के आधार पर 2019 में नियुक्त शिक्षकों में से एक चिन्मय मंडल ने कहा कि वे अपनी स्थिति को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करने के लिए दिल्ली आये हैं. मंडल ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘हम देश के लोगों को बताना चाहते हैं कि हम किस तरह से पीड़ित हैं. हमारे राज्य में शिक्षा प्रणाली ध्वस्त हो रही है और हमारे अधिकारों की रक्षा नहीं की जा रही है.’ उन्होंने कहा, ‘निर्दोष को दंडित नहीं किया जाना चाहिए, अन्यथा आने वाली पीढ़ियां यह सोचकर शिक्षक बनने से कतराएंगी कि यह एक कलंकित पेशा है.’ मंडल ने कहा कि वे लोग न केवल अपनी नौकरी के लिए लड़ रहे हैं, बल्कि अपने सम्मान के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं. न्यायालय के फैसले की वजह से अपनी नौकरी गंवा चुके रहमान ने कहा कि उन्हें संस्थागत धोखाधड़ी के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए. मेदिनीपुर के रहने वाले और शिक्षकेतर कर्मचारी के रूप में नियुक्त प्रलय कुमार जमादार ने बताया कि उनकी नियुक्ति झारखंड-पश्चिम बंगाल सीमा के पास पुरुलिया के एक स्कूल में हुई थी, जहां वे अपने परिवार के साथ किराये के मकान में रह रहे थे. जमादार ने बताया कि उनका परिवार अब भी वहीं है. उन्होंने कहा कि नौकरी छूट जाने के बावजूद वह 5,000 रुपये मासिक किराया दे रहे हैं. जमादार ने कहा, ‘हमारे परिवार के लेाग इसका खामियाजा भुगत रहे हैं. लोग हमारी पीठ पीछे बातें करते हैं और हम पर चोर होने का आरोप लगाते हैं. इस बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन की नेता सुचेता डे ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में उच्चतम न्यायालय जिस तरह से व्यवहार कर रहा है, वह चिंताजनक है. प्रदर्शनकारी शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों ने ‘हमें हमारी नौकरी दो या हमें मौत दो’ जैसे नारे लगाये और हाथों में तख्तियां लेकर न्याय की गुहार लगायी तथा निर्दोषों के बजाय दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. शीर्ष अदालत ने तीन अप्रैल को एसएससी के 2016 के पैनल को ही रद्द कर दिया, जिससे पश्चिम बंगाल के 25,753 शिक्षकों व गैर शिक्षकों की नौकरी ही चली गयी.एक मई से कोलकाता में करेंगे भूख हड़ताल
नौकरी गंवाये शिक्षकों ने बताया कि दिल्ली के विरोध प्रदर्शन के समानांतर कोलकाता में भी और अधिक प्रदर्शन की योजना बनायी गयी है. 21 अप्रैल को, ‘बोन्चितो चक्रप्रार्थी के तहत संचालित एक अन्य समूह आंदोलन करेगा. रैली निकालते हुए नवान्न अभियान चलायेंगे. दूसरी ओर, ‘योग्य शिक्षक-शिक्षिका अधिकार मंच’ की ओर से 22 अप्रैल को सियालदह से राजभवन तक मार्च निकाला जायेगा. 23 और 28 अप्रैल को भी विरोध प्रदर्शन की योजना बनायी गयी है. क्रमिक भूख हड़ताल एक मई से शुरू होगी और 7 मई तक जारी रहेगी. शिक्षकों ने कहा कि अगर उनकी मांगें अब भी पूरी नहीं होती हैं, तो वे सात मई से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने की योजना बना रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है