संवाददाता, कोलकाता सीबीआइ ने अदालत में पेश किये आरोपपत्र में दावा किया है कि शिक्षक नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार सुजय कृष्ण भद्र उर्फ कालीघाटेर काकू ने सबूत मिटाने के कई प्रयास किए. साथ ही दूसरों को भी साक्ष्य नष्ट करने के लिए मजबूर किया. अन्य आरोपियों ने भी विभिन्न तरीकों से सबूतों को नष्ट करने की कोशिश की. केंद्रीय जांच एजेंसी ने तीसरे अतिरिक्त आरोपपत्र में सबूत नष्ट करने के कुल सात तरीकों का उल्लेख किया है.
आरोपपत्र में सीबीआइ ने कहा कि उम्मीदवारों से पैसे वसूले गये. करोड़ों रुपये सुजय कृष्ण के हाथों में गये हैं. बदले में कुछ लोगों को नौकरी भी मिली. कई लोगों को नौकरी नहीं मिली, लेकिन उनका पैसा भी नहीं लौटाया गया. कुंतल घोष, शांतनु बनर्जी और अरुण हाजरा जैसे आरोपियों ने रुपये वसूलने के लिए कई एजेंटों का इस्तेमाल किया. उनके बीच हुई बातचीत, ईमेल और लेन-देन के साक्ष्य नष्ट करने के कई प्रयास किये गये हैं. एजेंटों ने सीबीआइ को बताया कि घोटाले की जांच में केंद्रीय जांच एजेंसियों के सक्रिय होने के बाद ही सबूत नष्ट करने का दबाव शुरू हुआ. जिस डायरी में सबूत थे, उसे जला दिया गया. रिश्वत लेने से जुड़ा वीडियो भी गायब कर दिया गया. एक मोबाइल को आदि गंगा में फेंक दिया गया.यह भी किया दावा :
सीबीआइ ने यह भी दावा किया कि हार्ड डिस्क से फाइल हटा दी गयी. सुजय ने अपने मोबाइल से सभी फोटो और व्हाट्सएप चैट डिलीट कर दिये. ईमेल आइडी बंद कर दिया. घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को बंद कर स्टोरेज फुटेज को मिटा दिया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है