20.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

संदीप घोष को थोड़ी राहत, चार्ज गठन की प्रक्रिया फिर टली

आरजी कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितता के मामले में निचली अदालत में चार्ज गठन की प्रक्रिया शुरू करने को लेकर अतिरिक्त समय देने की मांग पर कलकत्ता हाइकोर्ट की सिंगल बेंच में दो बार याचिका करने पर भी राहत नहीं मिली.

आरजी कर में वित्तीय अनियमितता का मामला

संवाददाता, कोलकाता.

आरजी कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितता के मामले में निचली अदालत में चार्ज गठन की प्रक्रिया शुरू करने को लेकर अतिरिक्त समय देने की मांग पर कलकत्ता हाइकोर्ट की सिंगल बेंच में दो बार याचिका करने पर भी राहत नहीं मिली. इसके बाद आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल व मामले के आरोपी संदीप घोष ने हाइकोर्ट के न्यायाधीश जयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति शुभेंदु सामंत की डिवीजन बेंच में याचिका दायर की और उन्हें इस मामले में फिलहाल थोड़ी राहत जरूर मिली है. खंडपीठ ने गुरुवार को कहा है कि हाइकोर्ट उक्त मामले को लेकर निचली अदालत में सुनवाई में जल्दबाजी नहीं चाहता है. कानून के अनुसार, चार्ज गठन किये जाने से पहले आरोपियों को भी पर्याप्त समय मिलना चाहिए. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी. हाइकोर्ट की सिंगल बेंच द्वारा दिये गये निर्देश के अनुसार, निचली अदालत में आरोपियों के खिलाफ चार्ज गठन की प्रक्रिया गुरुवार को ही होने वाली थी, जो टल गयी.

इस दिन कलकत्ता हाइकोर्ट में घोष के वकील ने अदालत में कहा कि सीबीआइ ने आरोपियों के खिलाफ करीब 15 हजार से भी ज्यादा पन्नों की चार्जशीट पेश की है. चार्जशीट से संबंधित दस्तावेज पढ़ने की पर्याप्त समय नहीं मिला है. ऐसे में केंद्रीय जांच एजेंसी उससे पहले ही आरोपियों के खिलाफ चार्ज गठन करना चाहती है. ऐसा आरोपियों के अधिकारों का उल्लंघन के समान है. घोष के वकील की यह दलील सुनने के बाद न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि घोष को डिस्चार्ज याचिका दायर करने के लिए सात दिनों का समय दिया गया है. इस दिन कलकत्ता हाइकोर्ट में मामले को लेकर सीबीआइ द्वारा चार्ज गठन की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया है. न्यायाधीशों ने टिप्पणी की, “हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं, जहां आरोपी को मौका दिये बिना त्वरित सुनवाई करके मामले को ‘कब्र’ में पहुंचा दिया जाए. सीबीआइ ने एक फरवरी को मामले को लेकर दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं. ऐसे में जांच एजेंसी तीन दिनों के भीतर आरोप क्यों तय करना चाहती थी?”

न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि नये कानून के अनुसार, चार्ज गठन करने से पहले आरोपी को चार्जशीट जमा करने के बाद अधिकतम 60 दिनों का समय दिया जाना चाहिए. इस मामले में, वह समय क्यों नहीं दिया जा रहा है? न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यह अदालत लंबी सुनवाई नहीं चाहती. यदि आवश्यक हुआ तो उच्च न्यायालय निचली अदालत की सुनवाई प्रक्रिया की निगरानी करेगा. न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा कि आरोपियों को कम से कम 14 दिन का समय दिया जाना चाहिए. इस दौरान वे आरोप पत्र पढ़ सकेंगे और मामले से खुद को अलग करने के लिए आवेदन कर सकेंगे. न्यायमूर्ति बागची ने टिप्पणी की कि कानून के अनुसार, किसी भी आरोपी को मामले से अलग करने का अधिकार है. सीबीआइ को बताना चाहिए कि चार्ज गठन होने के बाद आरोपी को वह अधिकार कैसे मिलेगा.

उधर, सीबीआइ और आरोपियों के वकील एक-दूसरे से मामले पर चर्चा करेंगे. इस संबंध में अगली सुनवाई शुक्रवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में होगी और इसी दिन दोनों पक्षों से बातचीत के बाद मामले में चार्ज गठन की प्रक्रिया शुरू करने की तारीख तय की जा सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel