Mahabodhi Temple: विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर में देश ही नहीं, दुनिया भर से श्रद्धालुओं की आस्था लगातार मजबूत हो रही है. मई से दिसंबर के बीच के छह महीनों में मंदिर को 33 अलग-अलग देशों की मुद्राओं में कुल 2 करोड़ 2 लाख रुपये से अधिक का दान मिला है.
यह राशि अब मंदिर के बेहतर प्रबंधन, संरक्षण और सुविधाओं के विस्तार में खर्च की जाएगी. बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (बीटीएमसी) के अनुसार, इस बार दान का बड़ा हिस्सा दक्षिण-पूर्व एशिया के बौद्ध देशों से आया है.
म्यांमार से सबसे अधिक दान
दान के आंकड़ों पर नजर डालें तो म्यांमार के श्रद्धालुओं ने सबसे बड़ा योगदान दिया है. म्यांमार से 5.31 करोड़ क्यात प्राप्त हुए, जिसकी भारतीय मुद्रा में कीमत करीब 21.26 लाख रुपये है. इसके बाद थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका से भी बड़ी मात्रा में दान आया है.
थाई श्रद्धालुओं ने वाट के साथ-साथ अमेरिकी डॉलर में भी दान किया, जबकि वियतनाम से डोंग में बड़ी राशि प्राप्त हुई. यह आंकड़े बताते हैं कि महाबोधि मंदिर एशियाई बौद्ध देशों की आस्था का केंद्रीय बिंदु बना हुआ है.
भारतीय और विदेशी मुद्रा का संतुलन
बीटीएमसी के पदेन अध्यक्ष और गया के जिलाधिकारी शशांक शुभंकर के अनुसार, छह महीनों में कुल 2,02,03,494 रुपये का दान मिला. इसमें 1,29,41,100 रुपये भारतीय मुद्रा में और 72,62,394 रुपये विदेशी मुद्राओं के रूप में प्राप्त हुए.
दिसंबर के पहले पखवारे में दानपेटियां खोली गईं और पूरी राशि की गिनती में 15 से 23 दिसंबर तक कुल नौ दिन लगे. यह प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की गई.
विदेशी मुद्रा के इस्तेमाल का रास्ता साफ
लंबे समय से विदेशी मुद्रा के उपयोग को लेकर चला आ रहा गतिरोध अब समाप्त हो गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FEMA) शाखा के आदेश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बोधगया शाखा ने विदेशी मुद्राएं स्वीकार करनी शुरू कर दी हैं. पहले शाखा स्तर पर व्यावहारिक अड़चनों के कारण विदेशी दान का उपयोग मुश्किल हो रहा था. इस समस्या को लेकर बीटीएमसी की सचिव डॉ. महाश्वेता महारथी ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर हस्तक्षेप का अनुरोध किया था, जिसके बाद स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए.
इस वर्ष महाबोधि मंदिर को जिन देशों के श्रद्धालुओं ने दान दिया, उनमें म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम के अलावा श्रीलंका, जापान, कोरिया, सिंगापुर, चीन, ताइवान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, यूएई, इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कतर, कुवैत, ओमान, बहरीन, इराक और तुर्की जैसे देश शामिल हैं. यह सूची महाबोधि मंदिर की वैश्विक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित करती है.
मंदिर प्रबंधन और सुविधाओं पर होगा खर्च
बीटीएमसी के अनुसार, दान से प्राप्त राशि का उपयोग मंदिर परिसर के रखरखाव, सुरक्षा व्यवस्था, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाने में किया जाएगा. बढ़ते वैश्विक दान से यह साफ है कि महाबोधि मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय आस्था और सांस्कृतिक संवाद का केंद्र बन चुका है.

