हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची पश्चिम बंगाल सरकार, तत्काल सुनवाई की अपील
आज शीर्ष अदालत में मामले की सुनवाई होने की संभावना
संवाददाता, कोलकाताराज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण सूची के विवाद के कारण पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा (डब्ल्यूबीजेइइ) सहित कई परीक्षाओं के परिणाम अटके हुए हैं. कहा गया है कि ओबीसी विवाद का असर सिर्फ डब्ल्यूबीजेइइ तक सीमित नहीं है. बल्कि, इससे बीफर्मा, बीआर्क, नर्सिंग, पैरामेडिकल, लेटरल एंट्री टेस्ट, प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी की अंडर-ग्रेजुएट व पोस्ट-ग्रेजुएट एंट्रेंस समेत कुल 10 परीक्षाएं प्रभावित हुई हैं. इसलिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की तत्काल सुनवाई का आग्रह करते हुए याचिका दायर की है, जिस पर गुरुवार को सुनवाई होने की संभावना है. गौरतलब है कि डब्ल्यूबीजेइइ के परिणाम की घोषणा पिछले सप्ताह होनी थी. लेकिन ओबीसी आरक्षण सूची को लेकर पैदा हुए विवाद के चलते परीक्षा परिणाम का प्रकाशन टाल दिया गया. कलकत्ता हाइकोर्ट ने पिछले सप्ताह मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि नयी ओबीसी सूची के आधार पर मेधा तालिका जारी नहीं की जा सकेगी. न्यायाधीश कौशिक चंद ने कहा था कि वर्ष 2010 से पहले की 66 ओबीसी समुदायों की सूची के आधार पर सात प्रतिशत आरक्षण देते हुए नयी मेधा तालिका तैयार करनी होगी और रिजल्ट का प्रकाश करना होगा. अब हाइकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.डीए मामले की सुनवाई टली
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों के बकाया महंगाई भत्ते (डीए) के मामले की सुनवाई टल गयी. मामले की सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार के अधिवक्ता कपिल सिब्बल उपस्थित नहीं थे. वह किसी अन्य मामले में व्यस्त होने के कारण सुनवाई में मौजूद नहीं हो सके. इसके बाद राज्य सरकार के अन्य अधिवक्ता ने मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए अगली तारीख तय करने की मांग की. इसके बाद न्यायाधीश ने 26 अगस्त को मामले की सुनवाई करने के लिए तारीख निर्धारित की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

