बोले : चेंबर ऑफ टेक्सटाइल ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष महेंद्र जैन कोट्टी ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र कोलकाता. हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने कपड़ा एवं रेडीमेड वस्त्र क्षेत्र में जीएसटी दरों में बदलाव करते हुए 2500 रुपये से अधिक मूल्य वाले परिधानों पर वर्तमान 12 प्रतिशत की दर को बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया है. इस संबंध में चेंबर ऑफ टेक्सटाइल ट्रेड एंड इंडस्ट्री (कोट्टी) के अध्यक्ष महेंद्र जैन ने कहा कि यह निर्णय न केवल उपभोक्ताओं के लिए बल्कि समूचे टेक्सटाइल उद्योग के लिए गहरी चिंता का विषय है. वस्त्र भारतीय समाज में विलासिता नहीं बल्कि आवश्यकता है. चाहे त्योहार हों, विवाह समारोह या मौसम की आवश्यकताएं-कपड़े हर व्यक्ति की मूलभूत जरूरत हैं. उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल उद्योग देश का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है, जो लाखों बुनकरों, दर्जियों, कारीगरों एवं छोटे व्यापारियों की आजीविका का आधार है. कर दरों की जटिलता और बढ़ोतरी से न केवल व्यापार में मंदी आयेगी, बल्कि लाखों लोगों की जीविका भी खतरे में पड़ जायेगी. उन्होंने कहा कि चेंबर ने इस संबंध में राज्य की वित्त मंत्री एवं जीएसटी काउंसिल को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि इस सेक्टर की सामाजिक और आर्थिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए कर संरचना को सरल और यथासंभव न्यूनतम रखा जाये. बुधवार को इस आशय का एक पत्र चेंबर द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया है. हमारी स्पष्ट मांग है कि कपड़ा एवं परिधान क्षेत्र को एक ही कर स्लैब में लाकर पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाये, ताकि वस्त्र आमजन की पहुंच में रहे, उद्योग को स्थिरता मिले और लाखों लोगों की आजीविका सुरक्षित रह सके.
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