कोलकाता.
शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से पश्चिम बंगाल के 2012 से पहले नियुक्त प्राथमिक शिक्षकों में चिंता बढ़ गयी है. फैसले के अनुसार, सभी प्राथमिक शिक्षकों को सेवा में बने रहने या पदोन्नति पाने के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य होगा. भले ही उनकी नियुक्ति कभी भी हुई हो. पश्चिम बंगाल तृणमूल प्राथमिक शिक्षक समिति (डब्ल्यूबीपीटीए) ने इस मामले पर गहरी चिंता व्यक्त की है. समिति के प्रदेश अध्यक्ष पलाश साधुखां ने प्रभावित शिक्षकों को आश्वस्त किया है कि उनका संगठन उनकी सेवा और आजीविका की सुरक्षा के लिए उनके साथ मजबूती से खड़ा है. समिति के उत्तर कोलकाता के अध्यक्ष आलोक कुमार शुक्ल ने बताया कि 12 सितंबर को डब्ल्यूबीपीटीए के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी मंत्री ब्रात्य बसु से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री को शिक्षकों की चिंताओं से अवगत कराया. मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वह इस मामले को देखेंगे और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्पन्न हुईं समस्याओं का समाधान निकालेंगे. समिति ने इस मुद्दे को पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष गौतम पाल के संज्ञान में भी लाया है, जिन्होंने पूरा सहयोग देने का वादा किया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

