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काटने व चलने के निशान से दोषी तक पहुंची पुलिस : सीपी

बड़तला इलाके में सात महीने की बच्ची का अपहरण करने के बाद उसके साथ यौन शोषण करने के मामले में दोषी करार दिये गये युवक राजीव घोष फांसी की सजा दिलवाना कोलकाता पुलिस की बड़ी उपलब्धियों में से एक है.

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बच्ची से यौन शोषण में दोषी को फांसी की सजा दिलवाना उपलब्धि

सीपी ने इस मामले के जांच अधिकारी समेत एसआइटी के पूरे सदस्यों को दिया धन्यवाद

कहा : कोलकाता पुलिस के इतिहास में यह पहली घटना, जिसमें पीड़िता के जीवित रहते दोषी को फांसी की सजा मिली हो

संवाददाता, कोलकाता

बड़तला इलाके में सात महीने की बच्ची का अपहरण करने के बाद उसके साथ यौन शोषण करने के मामले में दोषी करार दिये गये युवक राजीव घोष फांसी की सजा दिलवाना कोलकाता पुलिस की बड़ी उपलब्धियों में से एक है. बुधवार को कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा ने इस घटना को एक विरल घटना बताया. सीपी ने कहा- पीड़ित बच्ची अभी भी अस्पताल में इलाजरत है. वह धीरे-धीरे स्वस्थ होने का प्रयास कर रही है. इसके बावजूद यह पहली घटना है जब कोलकाता के बैंकशाल कोर्ट ने इस घटना में शामिल आरोपी को दोषी करार दिया. मंगलवार को उसे मौत की सजा सुनायी गयी. बलात्कार के मामलों में पीड़िता के जीवित होने के बाद भी दोषी को मौत की सजा दिया जाना दुर्लभ है. इस तरह की घटना में दोषी को फांसी की सजा सुनाया जाना समाज में सख्त संदेश देगा.

सीपी ने कहा, राजीव घोष को सबूतों के आधार पर झाड़ग्राम से गिरफ्तार किया गया. हमने इस घटना की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनायी. पुलिस इस घटना के 28 दिन के अंदर आरोप पत्र दायर करने में सफल रही. इसके बाद आरोपी को दोषी करार दिया गया. यह शायद बलात्कार का पहला मामला है, जहां पीड़िता के जीवित रहने के बावजूद दोषी को मौत की सजा दी गयी है. जांच अधिकारी, डीसी (नॉर्थ) और संयुक्त आयुक्त (अपराध) के नेतृत्व वाली इस टीम को धन्यवाद.

जांचकर्ताओं ने अपराधी की पहचान कैसे की? इस पर सीपी ने कहा कि घटना के बाद पहले दो दिनों तक जांच को आगे बढ़ाना मुश्किल था. घटना वाले दिन और रात में बारिश हुई. इस कारण जानकारी नहीं मिल सकी. बाद में पुलिस के हाथ कुछ फुटेज लगे, जिससे आरोपी की पहचान हुई. बच्चे के शरीर पर काटने के कई निशान मिले. इनका मिलान आरोपी के दांतों से किया गया. आरोपी के चलने के तरीके को भी चिन्हित किया गया. इसके अलावा जांचकर्ताओं ने डीएनए नमूने और रक्त के नमूने भी देखे. इससे उन्हें आरोपी के इस अपराध में शामिल होने के बारे में पुलिस को यकीन हो गया.

गौरतलब है कि फुटपाथ पर रहने वाले एक दंपत्ति ने 30 नवंबर को बड़तला थाने में बच्ची के लापता होने की सूचना दी थी. कुछ घंटों बाद बच्ची को फुटपाथ से ढूंढ निकाला गया. चार दिसंबर को 34 वर्षीय राजीव पुलिस के जाल में फंस गया. लालबाजार सूत्रों के अनुसार, वह झाड़ग्राम के गोपीवल्लभ पुर का रहने वाला है. बच्ची के गुप्तांगों पर कई चोट के निशान पाये गये. चिकित्सकों ने उसके यौन शोषण का शिकार होने की जानकारी पुलिस को दी. अदालत परिसर में खड़े होकर, सरकारी वकील ने दावा किया कि जिस तरह से बच्चे को प्रताड़ित किया गया वह ””””दुर्लभ से दुर्लभतम”””” मामला है. वकील ने दावा किया कि डॉक्टरों ने भी इस बात को स्वीकार किया है. अगले दिन कोर्ट ने आरोपी को मौत की सजा सुनायी. भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो अधिनियम उसका अपराध सिद्ध पाया गया.

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