कोलकाता. केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए जल-जीवन मिशन शुरू किया है और इस योजना के तहत राज्य के 1.73 करोड़ परिवार तक नल के माध्यम से जल पहुंचाने का लक्ष्य है, लेकिन इस योजना के लिए कार्य करने वाले ऑल बंगाल पीएचई कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (सिविल) का आरोप है कि इस योजना के तहत कार्य करने के बावजूद पिछले एक वर्ष से उनके बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया है. शुक्रवार को ऑल बंगाल पीएचई कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव मानस चटर्जी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमने सरकार के मिशन को सफल बनाने के लिए पूरे ईमानदारी से काम किया. ठेकेदारों ने अपनी निजी संपत्ति तक गिरवी रखकर ग्रामीण इलाकों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की. लेकिन महीनों से भुगतान न मिलने की वजह से अब मजदूरों, बैंकों और सप्लायर्स को पैसा देना मुश्किल हो गया है. उन्होंने बताया कि अब तक राज्य के लगभग एक करोड़ घरों में पानी का कनेक्शन पहुंच चुका है, लेकिन ठेकेदारों का करीब 5,000 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ है और करीब 2,500 करोड़ का बिल अभी जमा होने बाकी है. इस मौके पर हावड़ा पीएचई कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन के मुख्य संयोजक तापस घोष ने कहा कि अपनी मांगों को हमने कई बार प्रशासन से गुहार लगायी, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं हुआ. वहीं, मुर्शिदाबाद जिला कॉन्ट्रैक्टर्स (बिल्डर्स) एसोसिएशन के महासचिव संजय विश्वास ने कहा कि हम केंद्र और राज्य सरकार से अपील करते हैं कि तुरंत बकाया भुगतान किया जाये. हम जल जीवन मिशन को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन समय पर धनराशि जारी करना जरूरी है, ताकि लाखों परिवारों का जीवन सुरक्षित रहे और योजना का काम भी सुचारू रूप से चलता रहे.
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