कोलकाता. असम के गृह, खान व खनिज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आइएएस अजय तिवारी ने एसोचैम द्वारा महानगर में आयोजित ‘एडवांटेज असम निवेश शिखर सम्मेलन’ में कहा कि खनन क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा और विकास पथ का एक अभिन्न अंग है. उन्होंने बताया कि असम एक खनिज-समृद्ध राज्य है, जहां दुर्लभ मृदा और महत्वपूर्ण खनिज पाये जाते हैं. 30 साल बाद शांति लौटने से, जो क्षेत्र पहले दुर्गम थे, अब खुले हैं. तिवारी ने जानकारी दी कि अकेले खनन क्षेत्र में 14 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गये हैं और सरकार इन संभावनाओं को हकीकत में बदलने के लिए काम कर रही है. भारत के खनिज खोज और विकास लक्ष्यों पर प्रकाश डालते हुए तिवारी ने कहा कि दुनिया को उम्मीद है कि भारत 2050 से 2060 के बीच नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त कर लेगा. उन्होंने प्रधानमंत्री के 2047 तक विकसित भारत और 2070 तक नेट-जीरो के लक्ष्य का भी उल्लेख किया. कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (खान मंत्रालय, भारत सरकार) के महानिदेशक, असित साहा ने बताया कि जीएसआइ की 50 प्रतिशत अन्वेषण परियोजनाएं दुर्लभ मृदा और दुर्लभ धातुओं पर केंद्रित हैं, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि असम, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में बहुत अच्छी संभावनाएं हैं, जहां जी2 चरण का अन्वेषण चल रहा है. इस अवसर पर केंद्रीय खदान मंत्रालय के भारतीय खान ब्यूरो के खान नियंत्रक (पूर्वी क्षेत्र) डॉ पुखराज नेनिवाल ने कहा कि वैश्विक विद्युतीकरण, डिजिटलीकरण और शहरीकरण के कारण खनिज निष्कर्षण, विशेष रूप से महत्वपूर्ण खनिजों में दस गुना वृद्धि की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हमारा खनिज और खनन क्षेत्र अब केवल एक सहायक कार्य नहीं रह गया है, बल्कि यह ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और हरित औद्योगीकरण का एक रणनीतिक स्तंभ है. इस मौके पर एसोचैम की खनन उप-परिषद, पूर्वी भारत के अध्यक्ष, संजीव गनेरीवाला ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया.
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